सेना की भर्ती में फर्जीवाड़ा, तीन जवानों की संलिप्तता हुई उजागर, सैकड़ों युवाओं से की ठगी | scandal in army recruitment Three jawans involved in the incident Hundreds of young people

सेना की भर्ती में फर्जीवाड़ा, तीन जवानों की संलिप्तता हुई उजागर, सैकड़ों युवाओं से की ठगी

सेना की भर्ती में फर्जीवाड़ा, तीन जवानों की संलिप्तता हुई उजागर, सैकड़ों युवाओं से की ठगी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:40 PM IST, Published Date : July 16, 2019/3:38 pm IST

नई दिल्ली । भारतीय सेना की भर्ती प्रक्रिया में कथित फर्जीवाड़े का मामला उजागर हुआ है। पुलिस के मुताबिक तकरीबन सवा सौ अभ्यर्थियों के साथ धोखाधड़ी की गई है। पुलिस की जांच में पूरी धोखाधड़ी एक रैकेट के माध्यम से किए जाने का शक है। संदिग्ध रैकेट सेना की भर्ती से जुड़े नकली नियुक्ति पत्र जारी कर अभ्यर्थियों से ठगी कर रहे थे। पूरे मामले का खुलासा मार्च, 2019 में पुणे स्थित साउदर्न कमांड की मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट और सतारा पुलिस ने संयुक्त रूप से किया था। इस फर्जीवाड़े सेना के तीन जवानों की संलिप्तता का भी शक है।

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सेना और पुलिस के संयुक्त अभियान में अधिकारियों ने सेना भर्ती से जुड़े एक कोचिंग सेंटर संचालक को उसके सहयोगी के साथ मार्च में गिरफ्तार किया था, जबकि दो और आरोपियों को बाद में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोपी सेना के तीनों जवानों की पहचान कर ली है, जिनमें दो हवलदार रैंक के हैं और एक सिपाही है। आरोपियों ने 2017 से लेकर 2018 के अंत तक सेना में भर्ती के नाम पर धोखाधड़ी को अंजाम दिया था।

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वहीं, पुलिस ने सतारा के श्रीपलवन गांव में कोचिंग सेंटर चलाने वाले विष्णु धेंबरे, उसके साथियों में भगवान शिरतोड़े, शुभम शिंदे और सुनील पवार के खिलाफ मामला दर्ज किया हैं। इन्हीं लोगों ने सैन्य संस्थानों से जुड़े फर्जी कागजात और जाली सील तैयार करने में उसकी मदद की थी।

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फर्जीवाड़े में संलिप्त तीन जवानों में से एक वर्तमानय में महाराष्ट्र के पुणे में पदस्थ है, जबकि दूसरा जम्मू-कश्मीर में तो तीसरा यूपी के लखनऊ में पदस्थ है। हालांकि, स्कैम के दौरान ये तीनों ही पुणे में पदस्थ थे। मामले की जांच कर रहे सतारा पुलिस के स्थानीय क्राइम ब्रांच में पुलिस इंस्पेक्टर विजय कुंभार ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, “धेंबरे, कोचिंग सेंटर के जरिए नए-नए अभ्यर्थियों को निशाना बनाता था। सेना में भर्ती के नाम पर वे प्रतिअभ्यर्थी दो से पांच लाख वसूलते थे।

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