लॉकडाउन में भी स्कूली बच्चों को मिला मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन, छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशील पहल की देश भर में सराहना | School children got dry ration of mid-day meal even in lockdown

लॉकडाउन में भी स्कूली बच्चों को मिला मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन, छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशील पहल की देश भर में सराहना

लॉकडाउन में भी स्कूली बच्चों को मिला मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन, छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशील पहल की देश भर में सराहना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : August 2, 2020/11:16 am IST

रायपुर। कोरोना संक्रमण के संकट काल में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना के तहत स्कूली बच्चों को घर-घर पहुंचाकर सूखा राशन देने के कदम की सराहना पूरे देश भर में की जा रही है। प्रतिष्ठित वेबपोर्टल ने मिड डे मील योजना के संबंध में देश के विभिन्न राज्यों के संबंध में विश्लेषणात्मक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की गई है।

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अखबार द्वारा मिड डे डेफिसिट रिपोर्ट में देश के अन्य राज्यों में उठाएं गए कदमों का तुलनात्मक विवरण प्रकाशित किया गया है। इस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की गई पहल को पूरे देश के लिए अनुकरणीय बताया गया है। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मार्च माह में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव के लिए जब देश में लाॅकडाउन लागू किया जा रहा था राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों को लाॅकडाउन के 40 दिनों का सूखा राशन का वितरण किया। राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों और उनके पालकों की कठिनाईयों पर संवेदनशीलता के साथ विचार करते हुए मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन वितरण करने के लिए तत्परता से कदम उठाए।

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जब लॉकडाउन लगाया जा रहा था, 22 मार्च को पूरे देश में जनता कफ्र्यू के एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ सरकार ने 21 मार्च को ही जिला कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूली बच्चों को सूखा राशन वितरण करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए। गांव गांव इसकी मुनादी करायी गयी। जबकि देश के अन्य राज्यों में सूखा राशन वितरण की प्रकिया काफी बाद में शुरू की गई। छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के पहले 40 दिनों के लिए स्कूली बच्चों को सूखा राशन दिया गया। बाद में राज्य सरकार द्वारा स्कूली बच्चों को 45 दिनों के लिए सूखा राशन वितरित किया गया। प्रदेश के 43,000 स्कूलों में 29 लाख बच्चे इस योजना से लाभान्वित हुए। वितरित किए गए सूखा राशन पैकेट में चावल, तेल, सोयाबीन, दालें, नमक और अचार थे। राज्य सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर स्कूली बच्चों और पालकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था भी की गई। यदि माता-पिता पैकेट लेने के लिए स्कूल नहीं जा सकते हैं, तो स्वयं सहायता समूह और स्कूल स्टाफ के माध्यम से घर-घर जाकर सूखा राशन के पैकेटों की होम डिलीवरी की जाए।

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कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद रहने की अवधि में बच्चों को मध्यान्ह भोजन अंतर्गत गरम पका भोजन नहीं दिया जा सकता। खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में बच्चों को सूखा चावल एवं कुकिंग कास्ट की राशि से अन्य आवश्यक सामग्री दाल, तेल, सूखी सब्जी इत्यादि वितरित की गई। मध्यान्ह भोजन योजना की गाइडलाइन के अनुसार कक्षा पहली से 8वीं तक के उन बच्चों को जिनका नाम शासकीय शाला, अनुदान प्राप्त अशासकीय शाला अथवा मदरसा-मकतब में दर्ज है, उन्हें मध्यान्ह भोजन दिया गया।

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रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि उत्तरप्रदेश, गोवा, तमिलनाडु और तेलंगाना में स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन योजना के तहत सूखा राशन देने का काम 10 जुलाई के बाद ही शुरू किया गया। रिपोर्ट के अनुसार मध्यान्ह भोजन योजना में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड शामिल हैं। इनमें से मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा और गुजरात ने खाद्यान्न और खाना पकाने की लागत दी। जबकि आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक ने खाद्यान्न के अलावा खाना पकाने की लागत के बदले तेल, सोयाबीन और दालों जैसे अतिरिक्त आइटम दिए। उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन के तहत सूखा राशन लेने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा।