कोरिया। चौदह साल पहले 29 सितंबर 2006 को एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र के चिरमिरी ओपनकास्ट माइंस में काम करने गये श्रमिक हीरालाल का आज तक कोई पता नहीं चल सका है। परिजनों ने काफी खोजबीन की पर कुछ भी पता नहीं चला। एसईसीएल प्रबंधन से लेकर चिरमिरी थाने तक लापता होने की जानकारी दी गई पर हीरालाल कहां गया? यह न पुलिस पता लगा सकी और न ही प्रबंधन।
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प्रावधान के तहत 7 साल तक लापता व्यक्ति के न मिलने पर 2014 में न्यायालय ने हीरालाल को मृत घोषित कर दिया है जिसके बाद छतीसगढ़ शासन ने मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी किया । आश्चर्य की बात तो यह कि एसईसीएल प्रबंधन ने अपने श्रमिक हीरालाल का पता चले बिना उसे 8 फरवरी 2012 को कम्पनी की सेवा से हटा दिया । लेकिन आश्रित रोजगार के तहत हीरालाल के किसी भी आश्रित को नौकरी नहीं दी।
28 अठाइस नवंबर 2014 को न्यायालय से मृत घोषित होने के बाद भी प्रावधान के तहत एसईसीएल प्रबन्धन आश्रित को नौकरी नहीं दे रहा है जिससे परिजन परेशान हैं। मृतक हीरालाल की पत्नी धोवेन कुँवर और उसकी बेटी निर्मला कुमारी हर महीने एसईसीएल के कार्यालय जाकर अधिकारियों के चक्कर लगा रही है पर नौकरी दिए जाने को लेकर केवल आश्वासन ही मिलता रहा। परिजन आज भी इस उम्मीद में है कि परिवार चलाने वाले हीरालाल के न रहने पर उनके आश्रित को नौकरी जरूर मिलेगी जिससे परिवार की खराब हो चली माली हालत सुधरेगी।
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16 hours ago