गुना। प्रशासनिक तंत्र की घोर लापरवाही कहें इसे या फिर अधिकारियों की मनमर्जी, लेकिन इसका खमियाजा 84 वर्षीय शांति बाई मीना को उठाना पड़ रहा है। उनकी व्यथा सुनकर शायद आप भी दंग रह जायेंगे। सरकारी दस्तावेजों में शांति बाई अभी जिंदा हैं तो वहीं अन्य सरकारी दस्तावेजों में शांति बाई को जीते जी मृत भी घोषित कर दिया गया है।
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सरकारी दफ्तरों की खाक छानने वाली शांति बाई का यह आलम है कि वे अब सरकार, प्रशासन और उनके अधिकारियों से सवाल पूछ रहीं हैं कि साहब आप ही बता दो कि “में जिंदा हूं या फिर मर गई” लेकिन उनके इस सवाल का जवाब देने वाले अधिकारी भी अब उनसे कन्नी काटते नजर आ रहे हैं।
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गुना में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटती शांति बाई मीना जहां एक तरफ वृद्धावस्था पेंशन लेकर सरकारी फाइलों में जीवित हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनका मृत्यु प्रमाण पत्र यह दर्शाता है कि सरकारी फाइलों में उनकी मृत्यु भी हो चुकी है। पीएम आवास योजना के लिए जब शांति बाई मीना अपने परिवारजन और गांव के सरपंच के साथ दस्तावेज फाइल करने पहुंची तो सचिव ने उनका मृत्यु प्रमाण पत्र देखकर कुटीर देने से मना कर दिया तभी से शांति बाई सरकारी दफ्तरों की खाक छान रही हैं ।
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शांति बाई का मकान क्षतिग्रस्त हो गया है । 84 वर्ष की आयु में सरकारी फाइलों में शांतिबाई कहीं जीवित हैं तो कहीं उन्हें मृतक बता दिया गया है। इस मामले में कोई अधिकारी मदद के लिए तैयार नहीं है । यही कारण है कि वे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रही हैं।
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