ध्रर्म। स्कन्दमाता जगतजननी का पांचवां स्वरूप है। स्कन्दमाता की उपासना नवरात्र के पांचवें दिन की जाती है। भगवान स्कन्द कुमार का्त्तितकेय नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर-संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। स्कन्दमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।
स्कन्द भगवान की भक्ति स्कन्दमाता की उपासना से स्वयं हो जाती है। नवरात्र के पांचवें दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होता है।
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स्कन्दमाता पूजा मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता सशस्विनी।।
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स्कन्दमाता माता पूजा मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 28 मार्च दिन शनिवार की देर रात 12 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है और 30 मार्च दिन रविवार की देर रात 02 बजकर 01 मिनट तक है। स्कंदमाता की आराधना आज रविवार को सुबह होगी।
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स्कंदमाता की पूजा से होती है नि:संतान की इच्छा पूर्ति
ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने मनवांछित फल प्राप्त होता है। स्कंदमाता की उपासना से नि:संतान दंपत्ति को संतान प्राप्त होती है। आपके सभी शत्रु परास्त होते हैं। स्कंदमाता मोक्षदायिनी भी हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
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