छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का अस्तित्व खतरे में हैं। वन विभाग ने इनके संरक्षण के लिये प्रजनन केन्द्र और शोध के लिये लाखों खर्च किए। कई कोशिशें भी हुईं, मगर वनविभाग नाकाम रहा। प्रजनन और प्रयोग के लिए जगदलपुर के सरकारी पिंजरे में रखी गई कई मैना की सांसों की डोर थम गई है। अब पिंजरे में सिर्फ एक ही मैना बची है।
साल 1993 में इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान के संचालक एम.एस. हसन ने वन विद्यालय में बड़ा पिंजरा बनाकर 4 मैना लाकर रखा था। 1995 में कुछ और पहाड़ी मैना लाकर इस पिंजरे में डाला गया। लेकिन एक-एक कर सारी मैना मर गई और अब सिर्फ एक ही जिंदा बची है। मैना के केप्टिव ब्रीडिंग के लिये विशेषज्ञों को बुलाने के साथ लाखों खर्च किए गए, लेकिन ये तक पता नहीं लगा पाया कि मैना में नर कौन सा है और मादा कौन सा..?
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