GST से कम हुआ राज्य का राजस्व, 88 हजार करोड़ के बजट में 18 हजार करोड़ का नही हुआ इस्तेमाल | State's revenue reduced from GST, 18 thousand crore was not used in 88 thousand crore budget

GST से कम हुआ राज्य का राजस्व, 88 हजार करोड़ के बजट में 18 हजार करोड़ का नही हुआ इस्तेमाल

GST से कम हुआ राज्य का राजस्व, 88 हजार करोड़ के बजट में 18 हजार करोड़ का नही हुआ इस्तेमाल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : November 29, 2019/12:17 pm IST

रायपुर। महालेखाकार ने आज 2017-18 की वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट में पेश की । रिपोर्ट पेश होने के बाद महालेखाकार डी.आर. पाटिल ने प्रेसवार्ता की । उन्होंने कहा कि 2017-18 में कुल 88 हजार 5 सौ 90 करोड़ का बजट पेश किया गया था । इसमें 18 हजार 8 सौ 86 करोड़ का इस्तेमाल ही नहीं हो सका है । इसी तरह से 5 हजार 8 सौ करोड़ रुपये लेप्स हो गए । वहीं 31 मार्च को 13 हजार 8 सौ करोड़ रुपये जमा किया, लेकिन विकास में उसका इस्तेमाल नहीं हो सका, Gst से राज्य का राजस्व कम हुआ है ।

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महालेखाकार डीआर पाटिल ने बताया कि मार्च 2018 तक लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग में 110 परियोजनाएं पूरी नही हुई है । इसमें से 42 परियोजनाओं की शुरुआती लागत 1702.07 करोड़ से 3 गुना बढ़कर 4545.33 करोड़ पहुच गई है। उन्होंने बताया कि 13 PSU को उनके ऑडिट न किये जाने के बाद भी राज्य सरकार ने करीब 9500 करोड़ दिए है । महालेखाकार ने कंपनी एक्ट के तहत इन कंपनियों के बंद हो जाने अंदेशा जताया है ।

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1400 करोड़ का पब्लिक सेक्टर में पैसे लगाने से नुकसान हुआ है । 1500 करोड़ अब भी भूमि अधिग्रहण का पड़ा हुआ है। ये ब्लॉकेज ऑफ फण्ड है । उन्होंने बताया कि 2013-14 से 2017-18 तक राजस्व बढ़ा है । राज्य सरकार ने 8100 करोड़ का लोन लिया था । 110 अपूर्ण प्रोजेक्ट 3700 करोड़ से बढ़कर अब 4000 करोड़ तक पहुंच चुका है ।

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छत्तीसगढ़ के रेसर्व फंड से राज्य शासन ने 31 मार्च 2018 तक 2085,84 करोड़ यानी 57.17 प्रतिशत निवेश कर चुकी है । 2017-18 में बजट 88,599 करोड़ था जिसमें 18,886.71 करोड़ सरकार उपयोग ही नही कर पाई है । इसमें से 5008 करोड़ लैप्स भी हो गए है । 13,838.17 करोड़ वापस किया गया है ।

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महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के बहुत विभाग ने केंद्र की मिली राशि का उपयोग नहीं किया है जिससे वो राशि लैप्स हो गई है । वहीं पुलिस हाऊसिंग सहित कुछ विभाग ने असीमित खर्च किया है । इसमे गंभीर बात ये है कि केंद्र से मिली फंड का जितना उपयोग हुआ है अगले वित्तीय वर्ष में केंद्र उतना ही फंड रिलीज करती है जिससे विभाग के बजट में कमी हो जाती है । चर्चा के दौरान महालेखाकार ने कहा कि उनका काम केवल रिपोर्ट बनाकर देना है । किस विभाग ने बजट का कम इस्तेमाल किया, किस विभाग ने असीमित खर्च किया, क्यों किया ये जानने का काम उनका नहीं सरकार का है ।

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महालेखाकार ने जानकारी दी उनके बिंदू निम्न है-

 
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