दिल्ली। खिचड़ी बेचारी रातों-रात अर्श से फर्श पर आ गिरी है! जी हां..कहां तो बुधवार शाम को ये राष्ट्रीय आहार बनने का सुहाना सपना देख रही थी, सोशल मीडिया पर बधाइयां बटोर रही थीं, विरोधियों का निशाना बन-बन कर आम से ख़ास हुई जा रही थी, लेकिन गुरुवार को इसके सारे अरमानों पर पानी फिर गया, सारे सपने रेत के महल की तरह ढ़ह गए।
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दरअसल, खिचड़ी को लेकर जिस केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से ये ख़बर आई थी कि 4 नवंबर को होने वाले खाद्य दिवस पर इसे ब्रैंड इंडिया फूड के तौर पर नेशनल फूड घोषित किया जाना है, उसी मंत्रालय की मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसका खंडन कर दिया है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपने ट्वीट में लिखा है कि हवाई नेशनल फूड का ख्याली पुलाव बहुत पक चुका! उन्होंने इस ट्वीट में बताया है कि वर्ल्ड फूड इंडिया के रूप में खिचड़ी की रिकॉर्ड एंट्री कराने के लिए 800 किलो खिचड़ी बनाने की बात हो रही है।
देखें हरसिमरत कौर बादल का ट्वीट :-
Enough Khichdi cooked up on a fictitious ‘National Dish’. It has only been put for a record entry in #WorldFoodIndia.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) November 1, 2017
बहरहाल, इसे लेकर सोशल मीडिया पर जो दिलचस्प बहस छिड़ी, उसमें खिचड़ी को बिरयानी से लेकर इडली, डोसा, लिट्टी-चोखे से कड़ी चुनौती मिल रही थी। खिचड़ी को देश की अर्थव्यवस्था से लेकर विविधता में एकता से भी जोड़ा गया। किसी ने चुटकी ली, किसी ने तंज कसा और किसी ने खिचड़ी की तारीफ के पुल बांधे। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि भले ही खिचड़ी नेशनल फूड बनने से वंचित रह गई, लेकिन नेशनल डिबेट का मुख्य मुद्दा जरूर बन गई ।
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