छत्तीसगढ़ की माटी का लगान 'भुवन' ने अपनी नायाब बुनकरी से उतारा | success story of Chhattisgarh's Weaver Bhuwan

छत्तीसगढ़ की माटी का लगान ‘भुवन’ ने अपनी नायाब बुनकरी से उतारा

छत्तीसगढ़ की माटी का लगान 'भुवन' ने अपनी नायाब बुनकरी से उतारा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : July 15, 2019/12:48 pm IST

रायपुर: बड़े पर्दे पर भारत की सबसे मशहूर फिल्म लगान की कहानी छत्तीसगढ़ के ‘‘भुवन‘‘ के संघर्ष और सफलता के इर्द-गिर्द घूमती है। छत्तीसगढ़ के भुवन का लगान, ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा लगाया गया नहीं था। यह लगान परम्परागत बुनकरों के लिए मल्टीनेशनल कम्पनियों द्वारा लाई गई चुनौतियां थी। यह चुनौती का गांव वालों के संघर्षो और परिवार के अरमानों व इच्छाओं को पूरा करने की दिशा में किए गए प्रयासों का था। इस चुनौती का भुवन ने डटकर सामना किया और आज उसने माटी का लगान अदा कर दिया है।

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यह कहानी छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के ग्राम बिलाईगढ़ के युवा ‘भुवन‘ के हौसलों की हैं, जिसने छोटी सी उम्र में अपने पिता के बुनकरी के कौशल को सहेजने का कार्य करते हुए प्रशिक्षण द्वारा अपने हुनर को और अधिक तराशा। आज इस भुवन के बनाए परिधान व साड़ियां दिल्ली में प्रदर्शनी के लिए लग रही है, जहां पेज-3 के लोगों द्वारा उसके बनाए कपड़े हाथों-हाथ खरीद रहे हैं।

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‘भुवन‘ के कौशल में और अधिक निखार लाने में अहम योगदान छत्तीसगढ़ के ग्रामोद्योग विभाग का भी है। विभाग के अधिकारियों से भुवन को मध्यप्रदेश के महेश्वर में बुनकरी की एक संस्था द्वारा, जो नई तकनीकों, डिजाईन आदि में निःशुल्क प्रशिक्षण देती है उसकी जानकारी मिली। उन्होंने भुवन को बताया कि, राज्य का हथकरघा विभाग, मध्यप्रदेश में महेश्वर की संस्था ‘वूमेन वीव‘ के माध्यम के छत्तीसगढ़ के युवाओं को हथकरघा उद्योग के विभिन्न पहलुओं के संबंध में आधुनिकतम प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं।

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उल्लेखनीय है कि, ‘वूमेन वीव‘ संस्था महेश्वर साड़ी की प्राचीन कला को सहेजने का कार्य कर रही है। संस्था द्वारा सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दिया गया है। यहां निर्मित कपड़े 21 देशों में निर्यात हो रहे हैं। संस्था के ‘द हैण्डलूूम स्कूल‘ में 1 वर्ष का ‘‘सर्टिफिकेट इन डिजाइन एण्ड इंटरप्राइज मैनेजमेंट‘‘ का कोर्स होता है, जिसमें छात्र बुनकरी के नए कौशल से परिचित होते है। इस कोर्स में अब तक छत्तीसगढ़ के 10 छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। वर्तमान में चांपा, राजनांदगांव, बिलासपुर व बालौद के चार छात्र यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।

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‘वूमेन वीव‘ संस्था में 18 से 30 वर्ष का 10वीं पास युवा प्रशिक्षण ले सकता है। प्रशिक्षण निःशुल्क व रोज छात्रों को 300 रूपए प्रतिदिन स्टायफंड भी मिलता है। परंतु छात्र के पास इसमें प्रवेश लेने के लिए दो वर्ष बुनाई से जुड़ा अनुभव और एक वर्ष व्यवसायिक बुनाई का अनुभव होना जरूरी है।

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छत्तीसगढ़ का भुवन आज फैशन जगत की नई चुनौतियों से निपटने व आगे बढ़ने में बेहद सक्षम है। उसने हैण्डलूूम के कपड़ों पर जाला वर्क के माध्यम से बारीक बुनकरी से नायाब साड़ियां तैयार की है। उसकी बनायी साड़ियों की प्रदर्शनी 11 से 13 जुलाई 2019 को नई दिल्ली के आर.के. खन्ना टेनिस स्टेडियम लगी, जो कि हाई प्रोफाईल लोगों के बीच काफी डिमांड में थी। भुवन ने बताया की बारीक बुनकरी से तैयार जाला साड़ियों को बनाने में 6 से 7 दिन लगे। भुवन आज अपने गांव के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उसने अपनी मेहनत से माता पिता के अरमानों को पूरा कर उनका लगान उतार दिया है।

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