सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 0.309 एकड़ विवादित जमीन के लिए ही दिया है फैसला....देखिए | Supreme Court has given decision only for 0.309 acres of disputed land .... See

सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 0.309 एकड़ विवादित जमीन के लिए ही दिया है फैसला….देखिए

सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 0.309 एकड़ विवादित जमीन के लिए ही दिया है फैसला....देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : November 10, 2019/11:02 am IST

नई दिल्ली। शनिवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की कॉपी में गौर करने वाली बात यह रही कि ये फैसला 2.77 एकड़ जमीन पर नहीं, बल्कि 0.309 एकड़ या 1500 वर्ग गज जमीन के स्वामित्व को लेकर दिया गया है। इस 0.309 एकड़ जमीन में ही बाहरी चबूतरा, आंतरिक चबूतरा और सीता रसोई शामिल हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक राम चबूतरा बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान ही नष्ट हो गया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के पहले पैराग्राफ में ही पांचों न्यायाधीशों की पीठ ने साफ कर दिया कि यह निर्णय विवादित जमीन के बहुत ही छोटे टुकड़े को लेकर दिया जा रहा है। 1045 पेज के अपने फैसले की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह विवाद अयोध्या शहर के 1500 वर्ग गज की भूमि के टुकड़े के स्वामित्व का दावा करने वाले दो धार्मिक समुदायों के आसपास केंद्रित है।

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दरअसल, 1991 में कल्याण सिंह सरकार द्वारा अयोध्या में तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए इस जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इस अधिग्रहण के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई थीं अयोध्या मामले से जुड़े वकीलों का कहना है कि 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मीडिया रिपोर्ट में इस विवादित भूमि को 2.77 एकड़ बताया जाने लगा।

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शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने श्री रामलला विराजमान को इस विवादित 0.309 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया है। इस मामले में हिंदू पक्षकारों की ओर से शामिल वकीलों में से एक विष्णु जैने ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान कभी भी स्पष्ट नहीं हो सका था कि ये विवादित भूमि 2.77 एकड़ न होकर 0.3 एकड़ है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है।

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