नई दिल्ली। भारत ने साल 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक कर पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया था। 29 सितंबर को इस सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल पूरे होने वाले हैं। सेना के कमांडो ने पाकिस्तान की सीमा में करीब 15 किमी अंदर जाकर आतंकियों के तीन लॉन्चिंग पैड ध्वस्त किये थे। इस सर्जिकल स्ट्राइक में 30 आतंकी भी मारे गए। इसके बाद पाकिस्तान ने कुछ समय के लिए आतंकियों के कैंप भी यहां से हटा दिये थे। इसके लिए सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवानों को साल 2017 में सम्मानित भी किया गया था।
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सेना का सिर्फ एक ही मकसद था आतंकी लॉन्च पैड का सफाया। लेकिन आपको पता इस मिशन को पूरा करने सेना के सामने आतंकियों के साथ-साथ कुत्तों का भी ध्यान भटकाना था जो सबसे बड़ी चुनौती थी। कुत्तों अगर जवानों पर अटैक करते तो ये मिशन पूरा नहीं होता। इसलिए जवानों ने इसका पहले ही इंजताम कर रखा था।
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कुत्तों से निपटने सेना के जवान तेंदुए के मल और पेशाब की गंध साथ ले गए थे। तेंदुए का मल और पेशाब कुत्तों को कमांडोज से दूर रखने में सहायक थी। दूसरा इस मल और पेशाब की गंध से कुत्तों को तेंदुए की इलाके में मौजूदगी का अंदाजा हो जाता था। उन्होंने बताया कि यह एक सीक्रेट मिशन था, लिहाजा इसको अंजाम देने तक इससे जुड़ी कोई भी जानकारी का बाहर आना पाकिस्तान की सीमा में जाने वाले कमांडोज के लिए जानलेवा साबित हो सकता था।
तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें एक सप्ताह के अंदर मिशन को अंजाम देने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने इस स्ट्राइक में शामिल होने वाले कमांडोज को तैयार रहने के लिए बताया, लेकिन उन्हें इसकी जगह के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। इसकी जानकारी उन्हें केवल इस स्ट्राइक से एक दिन पहले ही दी गई। इस स्ट्राइक से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड की पहचान की गई। इसके अलावा उनकी तमाम गतिविधियों को बारीकी से देखा गया। इस स्ट्राइक के लिए सुबह 3:30 बजे का वक्त निर्धारित किया गया था। सेना की एक यूनिट का काम इन कमांडोज को उस सीमा तक ले जाना था जहां के बाद इन्हें पैदल सफर तय करना था।
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कमांडो पाकिस्तान के अंदर जाने वाले थे वह इलाका घने जंगल के अलावा आबादी वाला भी था। कॉर्प कमांडर को डर था कि यहां पर मौजूद कुत्ते इस सर्जिकल स्ट्राइक को नाकाम कर सकते हैं। इसकी वजह ये भी थी कि कुत्तों के भौंकने की वजह से कमांडो की जानकारी वहां के स्थानीय लोगों को हो सकती थी। ऐसे में यदि कुत्ते कमांडोज को काट भी सकते थे। इतना ही नहीं कमांडो बिना मकसद कुत्तो को न तो मार सकते थे न ही कुछ और सकते थे। लिहाजा इन कुत्तों को कमांडो से दूर रखना था। इनको दूर रखने में सबसे बड़ा सहायक था तेंदुए का पेशाब और मल।
वेब डेस्क, IBC24
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