टाटा समूह की बड़ी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज (टाटा डोकोमो) ने अपने पांच हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए एग्जिट प्लान बनाना शुरू कर दिया है। इकोनॉमिक्स टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार नौकरी के निकाले गए कर्मचारी को तीन से 6 महीने का नोटिस दिया जा सकता है। जो लोग इस नोटिस पीरियड से पहले छोड़न चाहेंगे उन्हें अलगे से भत्ता दिया जाएगा। वहीं वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना लाने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके के साथ कुछ कर्मचारियों को समूह की दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार टाटा टेलीसर्विसेज पर काफी कर्ज है और कंपनी जल्द बंद होने वाली है। कंपनी ने अपने सभी सर्किल हेड को 31 मार्च 2018 तक नौकरी छोड़ने के लिए कहा है।
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टाटा समूह की दूसरी कंपनियों के ऊपर भी बंदी की तलवार लटक रही है। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए आने इंटरव्यू में कहा कि सबसे पहले मैं ये स्वीकार करूंगा कि हालात काफी जटिल हैं। हमें इसे सरल करना होगा। मैं चाहूंगा कि हम 5-6 या 7 समूह रहें न कि 110 कंपनियां। जब तक हम ऐसे इतनी सारी कंपनियां रहेंगे तब तक हालात ऐसे ही रहेने वाले है।
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चंद्रशेखरन ने टाटा टेलीसर्विसेज में निवेश करने की संभावना को भी पूरी तरह खारिज करते हुए इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा कि ऐसा करना पैसा पानी में फेंकने जैसा होगा। इसे सुधारने के लिए 50-60 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। हमारे पास ये विकल्प नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार मुनाफा कमा रही टाटा की सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस को छोड़कर बाकी कंपनियों पर करीब 25.5 अरब डॉलर का कर्ज है। 53 वर्षीय चंद्रशेखरन ने ईटी से कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अपना बहीखाता दुरुस्त करना है। टाटा समूह अपने स्टील कंपनियों और ऑटो कंपनियों में बड़े फेर बदल कर सकती है ताकि उन्हें पहले से ज्यादा लाभदायक बनाया जा सके। इसकी शुरुआत करते हुए टाटा ने टाटा स्टील के यूरोपीय कारोबार और भारतीय कारोबार को अलग किया है।
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