छत्तीसगढ़ के आभूषण जिनकी खनक आज भी बरकरार है | The ageless gleam of Chhattisgarhi jewellery

छत्तीसगढ़ के आभूषण जिनकी खनक आज भी बरकरार है

छत्तीसगढ़ के आभूषण जिनकी खनक आज भी बरकरार है

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : November 7, 2017/7:49 am IST

 छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषता का सौंदर्य यहां के आभूषणों में निहित है .अलग-अलग तरह के लोगो के लिए अलग-अलग आभूषणों का यहाँ रिवाज है  छत्तीसगढ़ की  भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहाँ के आभूषणों को भी बांटा गया है। आभूषणों के रुप में सौंदर्य की कलात्मक चेतना का एक आयाम हजारों साल से जीवन्त है और आज भी सुनहरे-रुपहले पर्दो पर भी छत्तीसगढ़ के आभूषण अपनी जगह बनाये हुए है।
प्राकृतिक एवं अचल श्रृंगार ‘गोदना’ है जिसे आधुनिक युग में टेटू की संज्ञा दे दी गयी है  टोने-टोटके, भूत-प्रेतादि से बचाव के लिए गोदना को जनजातीय कुटुम्बों में रक्षा कवच की तरह अनिवार्य माना जाता रहा है।  अधिकतर स्त्रियां, पवित्रता की भावना एवं सौंदर्य के लिये गोदना गोदवाती हैं।  फूल-पत्ती, कांच-कौड़ी से होती रुपाकार के आकर्षण की यह यात्रा निरंतर प्रयोग की पांत पर सवार हैमानव के शैलचित्रों, हड़प्पाकालीन प्रतिमाओं, प्राचीन मृण्मूर्तियों से लेकर युगयुगीन कलावेशेषों में विभिन्न आकार-प्रकार के आभूषणों की ऐतिहासिकता दिखाई पड़ती है

छत्तीसगढ़ का ” गोदना ” बन गया टैटू

आभूषणों में यहाँ  सोना, चांदी, लोहा, अष्टधातु, कांसा, पीतल, गिलट, जरमन और कुसकुट (मिश्र धातु) मिट्टी, काष्ठ, बांस, लाख के गहने प्रचलित हैं। आज भी ग्रामीण इलाकों में  जनजातीय आभूषणों पर गोत्र चिन्ह अंकित करने की प्रथा है. आभूषणों को श्रृंगार के अलावा ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष प्रयोजन और एक्यूप्रेशर-एक्यूपंचर से भी जोड़ा जाता है, स्त्री-धन तो यह है ही।  छत्तीसगढ़ में प्रचलित सुवा ददरिया गीतों में आभूषणों का उल्लेख रोचक ढंग से हुआ है।  एक लोकगीत में बेटी सुवा नाचने जाने के लिए अपनी मां से उसके विभिन्न आभूषण मांगती है- ‘दे तो दाई तोर गोड़ के पैरी, सुवा नाचे बर जाबोन’ और इसी क्रम में हाथ के बहुंटा, घेंच के सूंता, माथ के टिकली, कान के खूंटी, हाथ के ककनी आदि जिक्र है।

चावल का चीला
शरीर के विभिन्न हिस्सों में से सिर के परंपरागत आभूषण बाल, जूड़े व चोटी में धारण किए जाते है, जिसमें जंगली फूल, पंख, कौड़ियां, सिंगी, ककई-कंघी, मांगमोती, पटिया, बेंदी प्रमुख हैं। चेहरे पर टिकुली के साथ के साथ कान में ढार, तरकी, खिनवां, अयरिंग, बारी, फूलसंकरी, लुरकी, लवंग फूल, खूंटी, तितरी धारण की जाती है तथा नाक में फुल्ली, नथ, नथनी, लवंग, बुलाक धारण करने का प्रचलन है.

सूंता, पुतरी, कलदार, सुंर्रा, संकरी, तिलरी, हमेल, हंसली जैसे आभूषण गले में शोभित होते है । बाजू, कलाई और उंगलियों में चूरी, बहुंटा, कड़ा, हरैया, बनुरिया, ककनी, नांमोरी, पटा, पहुंची, ऐंठी, मुंदरी (छपाही, देवराही, भंवराही) पहना जाता है । कमर में भारी और चौड़े कमरबंद-करधन पहनने की परंपरा है और पैरों में तोड़ा, सांटी, कटहर, चुरवा, चुटकी, बिछिया (कोतरी) पहना जाता है । बघनखा, ठुमड़ा, मठुला, मुंगुवा, ताबीज आदि बच्चों के आभूषण हैं, तो पुरुषों में चुरुवा, कान की बारी, गले में कंठी पहनने का चलन है ।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति में आभूषणों की पृथक पहचान है आज भी यहाँ के आभूषण विश्व धरोहर में अपनी पहचान कायम रखे है। बहुमूल्य धातुओं और रत्नों के विविध प्रयोग से छत्तीसगढ़ के आभूषण, राज्य की सास्कृतिक और कलात्मक गौरव गाथा के समक्ष प्रतीक हैं.जिन्हे भिन्न -भिन्न नाम से जाना जाता है.

फरा बनाने की विधि

पैरी -ये काँसे से बना आभूषण है जिसे ठोस रूप में बनाया जाता है।    

पैजन -स्त्री द्वारा धारण किया जाने वाला ये  चाँदी का गहना पैरो में पहना जाता है पारम्परिक गीतों में भी पैजन का उल्लेख मिलता है.   

लच्छा– जैसा की नाम से ही समझ आ रहा है लच्छा याने चाँदी के एक साथ तीन चार गुच्छे को मिला कर तैयार किया गया आभूषण। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतिक माना जाता है जिसे आम तौर पर परिवार की बुजुर्ग महिलाये पहनती है। इसके साथ ही साँटी यानि पायल ,पैर की बिछिया,चुटकी भी यहाँ के प्रमुख आभूषण है।

 हाथ के लिए पहने जाने वाले गहनों में ऐंठी  जो चाँदी की  गोल घुमावदार होती है।  सिम्पल कंगन या कड़ा जिसे टरकउव्वा  कहते है जो चाँदी की बनी होती है इसके साथ ही एक कंगन या कड़ा है जिसे आज शहरी सभ्यता में भी उच्च स्थान मिला है जो चोटी की तरह गुंथा हुआ होता है।
इसके साथ ही साथ अन्य आभूषणों भी है जिन्हे भिन्न नाम से जाना जाता है। जैसे कान में पहनने वाली तरकी जो सोने की बनी होती है। झुमका ,ढार,खिनवा,करन फूल ये सभी सोने के ही बने होते है।

गले के लिए छत्तीसगढ़ की फेमस ज्वेलरी में रुपियामाला जो चाँदी के सिक्को से बना होता है। इसके साथ ही तिलरी  जो सोने से बना मोटा मोटा गोल गोल मोतियों की तरह दीखता है साथ ही सूता चाँदी और सोने का बना ,पुतरी सोने से बानी  ,सुँड़रा सोने से बना आभूषण है जो आज भी अपनी चमक बनाये हुए है।
   

 
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