नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरूवार शाम सुरक्षाबलों पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। इसमें CRPF के 44 जवान शहीद हो गए। इनमें जबलपुर के खुड़ावल गांव के अश्विनी कोचे भी शामिल हैं। श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर लेथपोरा में एक फिदायीन आतंकी ने 350 किलो विस्फोटकों से भरी SUV से CRPF के काफिले को निशाना बनाया। विस्फोट की चपेट में आई दो बसों में से एक के परखच्चे उड़ गए। जहां धमाका हुआ, वहां तीन फीट का गड्ढा बन गया और 8 किलोमीटर दूर तक कंपन महसूस हुआ। CRPF की बस के चीथड़े उड़ गए और मारे गए जवानों की पहचान करना तक मुशिकल हो गई । 78 वाहनों के काफिले में CRPF के 2547 जवान थे। इनमें से ज्यादातर छुट्टी खत्म होने के बाद ड्यूटी पर लौट रहे थे।
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कश्मीर में आतंकियों ने 14 साल बाद कार बम का इस्तेमाल किया है। हमले के तुरंत बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने डीजी CRPF के साथ मीटिंग की और आज सुबह वे पुलवामा के लिए रवना हो रहे हैं । NSA अजीत डोभाल ने भी देर रात तक बैठक ली। गृह सचिव राजीव गौबा भूटान दौरे पर थे, जो तत्काल वापस देश लौट आए। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी की बैठक ले रहे हैं।
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खुफिया एजेंसियों ने 8 फरवरी को अलर्ट जारी किया था कि घाटी में सुरक्षाबलों की तैनाती या आवाजाही के दौरान आतंकी IED से हमला कर सकते हैं। कश्मीर के सबसे ज्यादा सुरक्षा वाले जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर हुआ यह हमला इशारा करता है कि अभी और हमले हो सकते हैं। सबसे ज्यादा चिंता इस बात की होनी चाहिए कि हमले का तरीका पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसा ही है। कश्मीर में आखिरी बार ऐसा हमला 2004 में हुआ था। तब आतंकियों ने बारामूला में सेना की बस को निशाना बनाया था। आतंकियों ने आईईडी का इस्तेमाल 10 साल बाद किया है।