बस्तर में बंदूकों का शौक लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है….यहां केवल नक्सलियों की बंदूकें ही नहीं बल्कि शहरों में लाइसेंसी बंदूकें भी आतंक का पर्याय बनती जा रहीं है….नगरनार में हुई खूनी टकराव की घटना इसकी एक जीती जागती तस्वीर है..कि किस तरह से बंदूक के दम पर लोग अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर रहे हैं..आंकड़ों की बात करें तो बस्तर की सबसे बड़ी शहरी आबादी जगदलपुर के दो थानों में ही वास्तविक अनुपात से काफी ज्यादा बंदूकें हैं, मसलन बस्तर जिले की करीब 8 लाख की आबादी पर करीब ढाई गुना अधिक बंदूक लोगों को बांटी गई है, बोधघाट थाने में ही 16 लाईसेंसी बंदूकें होनी चाहिए पर उसकी जगह 107 लाईसेंसी बंदूकें हैं, उसी तरह कोतवाली थाना क्षेत्र में होनी चाहिए 37 लाईसेंसी बंदूकें जिसकी जगह 237 बंदूकें हैं। पुलिस विभाग इन आंकड़ों पर गौर करते हुए आगे लाइसेंस के नवीनीकरण पर इस अनुपात को दुरूस्त करने की बात कह रहा है।
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13 hours ago