रीवा। आधुनिक परिवेश के चलते परम्परागत कारीगरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। परंपरागत तरीके से पिछली कई पीढ़ियों से रीवा में बसे बंसल समाज के लोग बांस की लकड़ी के बने सामान का व्यवसाय करते चले आ रहे हैं और इसी से अपना और अपने परिवार का पेट पालते है। लेकिन आधुनिक दौर में बांस से बने इनके सामानों को पूछने वाला कोई नहीं है, जिसके चलते इनके पास रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।
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शहर की बसाहट में शुमार बंसल परिवार के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी से बांस की लकड़ी से सामान बनाना इनका मुख्य व्यवसाय है। लेकिन आधुनिक युग में इनके इन बांस के बने सामानों को पूछने वाला कोई नहीं है, ये लोग इस लकड़ी से सूपा, डलिया,टोकनिया और कई छोटे छोटे सामान बनाकर अपना गुजर बसर करते हैं। लेकिन अब इनकी मांग शादी विवाह और कुछ खास त्यौहारों तक ही सिमट कर रह गयी है ।
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बांस से सामान बनाकर ही ये अपना परिवार चलाते हैं, और कोई हुनर इन्हें नहीं आता । बंसल परिवार के मुताबिक प्रशासन इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ये लोग बाजार में बैठकर या तो जगह जगह घूमकर बांस आइटम्स को बेचते है। इन आइटम्स को बनाने के लिए बांस भी इन्हें काफी दूर से लाना पड़ता है। वन विभाग की सख्ती के चलते अब आसानी से बांस नहीं मिलता साथ ही अब ये काफी महंगा भी हो गया है।
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3 weeks ago