देश के पांचवे प्रमुख निजी बैंक पर बंद होने का खतरा, सिर्फ दो महीने का वक्त, रिजर्व बैंक पर टिकी निगाहें | Threat of closure on country's fifth major private bank, just two months time, eyes on RBI

देश के पांचवे प्रमुख निजी बैंक पर बंद होने का खतरा, सिर्फ दो महीने का वक्त, रिजर्व बैंक पर टिकी निगाहें

देश के पांचवे प्रमुख निजी बैंक पर बंद होने का खतरा, सिर्फ दो महीने का वक्त, रिजर्व बैंक पर टिकी निगाहें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : January 13, 2020/12:30 pm IST

नईदिल्ली। देश का एक प्रमुख निजी बैंक ‘यस बैंक’ बंद होने की कगार पर है। अगर इसे बंद करने की घोषणा नहीं की जाती है, तो फिर भविष्य में करोड़ों ग्राहकों के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है। अब भारतीय रिजर्व बैंक को इसके बारे में जल्द निर्णय लेना पड़ेगा ताकि छोटे निवेशकों की जमा-पूंजी को डूबने से बचाया जा सके। बैंक के पास केवल मार्च तक का वक्त शेष है।

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देश का पांचवां सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक चलाने वाले को-फाउंडर बैंक को बैड कॉरपोरेट लोन में फंसा चुके हैं। इंस्टीट्यूशनल शेयरहोल्डर्स बैंक से बाहर निकल रहे हैं। छोटे निवेशक इस उम्मीद में निवेश कर रहे हैं कि यस बैंक फंड का इंतजाम कर लेगा। बैंक का नया मैनेजमेंट फंड जुटाने के नामुमिन विकल्पों पर गौर कर रहा है। इन विकल्पों में कनाडा के अरबपति से लेकर एक गुमनाम आईटी कंपनी तक शामिल है।

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बैंक के पास मार्च तक दो विकल्प बचे हैं। पहला यह कि वो खुद को बंद करने की घोषणा कर दे। दूसरा किसी सरकारी या फिर निजी बैंक में इसका विलय कर दिया जाए, ताकि छोटे निवेशकों की जमा पूंजी और कर्मचारियों के पास नौकरी जाने का खतरा न रहे। अगर बैंक बंद होता है, तो फिर इसका पूरे बैंकिंग सेक्टर पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसके साथ ही यह सरकार के लिए भी अच्छी खबर नहीं होगी।

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आर्थिक संकठ से जूझ रहे यस बैंक के शेयर पिछले 17 महीनों में 88 फीसदी तक गिर चुके हैं। शुक्रवार को इसके शेयर में पांच फीसदी और सोमवार को आठ फीसदी तक गिर गया है। बैंक का 36 फीसदी कैपिटल बैड लोन में फंसा हुआ है। अभी बैंक के लोन डूबने की आशंका ज्यादा है। बैंक का 40 फीसदी डिपॉजिट उन लोगों के हैं जो कभी भी मन बदल सकते हैं।

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इस बैंक का अब स्वतंत्र तौर पर चल पाना मुश्किल है। इसे बंद करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। को-ऑपरेटिव बैंक में अपना पैसा फंसा चुके निवेशक पहले ही हाशिए पर हैं। यस बैंक के लिए इसका विलय करना ही आखिरी रास्ता है। एसबीआई शायद ही यस बैंक के विलय के लिए राजी हो। लेकिन एसबीआई के अलावा शायद ही कोई बैंक हो जो यस बैंक के 31 अरब डॉलर के लोन को पचा सके।