जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मामले की सुनवाई 8 हफ्तों के लिए टली | Threatens given by separatists on Article 35A

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मामले की सुनवाई 8 हफ्तों के लिए टली

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मामले की सुनवाई 8 हफ्तों के लिए टली

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : October 30, 2017/5:50 am IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू कश्मीर को मिले विशेषाधिकार अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई 8 हफ्ते के लिए टाल दी है. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जे के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इस याचिका पर कोर्ट में तीन जजों की एक विशेष बेंच सुनवाई करेगी। इस बेंच में प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर शामिल हैं।

 

 

अलगाववादियों ने दी धमकी

दूसरी ओर जम्मू.कश्मीर के तीन अलगाववादी नेताओं ने कोर्ट से अनुच्छेद 35ए को रद्द करने का फैसला किए जाने की स्थिति में घाटी के जनांदोलन की चेतावनी दी है। साथ हीए यह भी कहा कि राज्य सूची के विषय से छेड़छाड़ फलस्तीन जैसी स्थिति पैदा करेगा। यहां एक संयुक्त बयान में अलगाववादी नेताओं.सैयद अली शाह गिलानीए मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन ण्लोगों से अनुरोध किया कि यदि कोर्ट राज्य के लोगों के हितों और आकांक्षा के खिलाफ कोई फैसला देता हैए तो वे लोग एक जनांदोलन शरू करें.
क्या है अनुच्छेद 35ए
अनुच्छेद 35ए भारतीय संविधान में एक ष्प्रेंसीडेशियल आर्डरष् के जरिए 1954 में जोड़ा गया था। यह राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की कुछ विशेष शक्तियां देता है। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू.कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे। अन्य राज्यों के लोगों को कश्मीर में जमीन खरीदनेए सरकारी नौकरी करने या विधानसभा चुनाव में वोट करने पर रोक है।

दरअसल इस कानून के खिलाफ दिल्ली स्थित एनजीओ “वी द सिटीजन” ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे खत्म करने की अपील की थी। एनजीओ ने अपनी इस याचिका में कहा था कि अनुच्छेद 35ए के कारण संविधान प्रदत्त नागरिकों के मूल अधिकार जम्मू.कश्मीर में छीन लिए गए हैंए लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द करे।

वहीं अनुच्छेद 35। के मुताबिक अगर जम्मू.कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने इस याचिका पर अगस्त माह में सुनवाई करते हुए मामले को 6 हफ्ते के लिए टाल दिया था और कहा था कि बेंच अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 की सैंविधानिकता की जांच करेगी और इसके तहत मिलने वाला स्पेशल स्टेटस का दर्जा का भी रिव्यू होगा।

 

वेब डेस्क, IBC24