विधवा मां की तीन बेटियां एक साथ बनीं RAS, भाई बोला अब IAS बनो | Three daughters remained RAS together

विधवा मां की तीन बेटियां एक साथ बनीं RAS, भाई बोला अब IAS बनो

विधवा मां की तीन बेटियां एक साथ बनीं RAS, भाई बोला अब IAS बनो

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : November 22, 2017/11:02 am IST

न तो बेटियां बोझ होती हैं और न ही प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज होती है। अगर ऐसा होता तो फिर ये ख़बर आप नहीं पढ़ रहे होते, जो हम आपको दिखाने जा रहे हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास सारंग का बास नाम का एक छोटा सा गांव है, हाल तक इस गांव का नाम भी बहुत लोग नहीं जानते थे, लेकिन राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन के RAS यानी राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के नतीजे घोषित होने के बाद ये गांव चर्चा में है और इस चर्चा का कारण है तीन सगी बहनें। जी हां, इस परीक्षा में तीन सगी बहनें एक साथ आरएएस अधिकारी बनने में सफल रही हैं। 

कमला चौधरी, गीता चौधरी और ममता चौधरी नाम की इन तीन सगी बहनों की ये सफलता अपने आप में एक मिसाल भी है। इनके पिता का नाम गोपाल पूनिया था, जिनका निधन बीमारी के कारण तीन साल पहले हो गया था। मां अशिक्षित हैं, जिन्हें न तो ये पता है कि उनकी बेटियों ने क्या पढ़ाई की और कौन सी परीक्षा में कामयाबी हासिल की है, लेकिन इतना जरूर कहती हैं कि उनकी बेटियां बहुत होनहार हैं और उनका हर सपना वो पूरा करेंगी।

खेती और मवेशियों को पालकर किसी तरह तीनों बेटियों को बढ़ाने वाली विधवा मां को अपने नाते-रिश्तेदारों और समाज से काफी ताने सुनने पड़े, लेकिन जो लोग पहले इन्हें ताने देते थे, अब अपने बच्चों को भी इन तीनों बहनों से सीख लेने को कह रहे हैं। तीनों बच्चियों ने भी कभी अपनी मां का सपना टूटने नहीं दिया, दिन-रात मेहनत की और इसी का नतीजा है कि राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन आरपीएससी के हाल में घोषित नतीजों में तीनों ने ही आरएएस अफसर बनने में सफलता हासिल की।

मां अनपढ़ और खेत-खलियान और पशुओं को पालने के अलावा कोई काम नहीं जानती है। इसके बावजूद तीनों बेटियों ने हार नहीं मानी, मन को मजबूत रखा और निगाहें लक्ष्य पर। इसका परिणाम भी बेहद सकारात्मक और शुकून देने वाला आया। हाल ही में आरपीएससी द्वारा घोषित किये गए रिजल्ट में तीनों बहनों ने एक साथ आरएएस अफसर बनने में सफलता पाई है। 

मां मीरा देवी के अलावा इन बहनों की कामयाबी में उनके भाई राम सिंह का भी योगदान कम नहीं है। भाई ने पिता की तरह फर्ज निभाया और अपनी बहनों को हमेशा सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान लगाने को कहता रहा। परिवार की बाकी जरूरतों में कटौती करता रहा, लेकिन बहनों की पढाई से कभी समझौता नहीं होने दिया। अब रामसिंह की इच्छा है कि तीनों बहनें आरएएस तो हो गईं, अब उन्हें आईएएस की तैयारी करनी चाहिए और इसके लिए वो अपनी ओर से पूरी मदद को तैयार है।.

 

 
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