टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के नाम पर SCERT की ओर से की गई फिजूलखर्ची का एक और खुलासा हुआ है. मंगलवार को ही हमने खुलासा किया था कि टीचर्स की ट्रेनिंग के नाम पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने 48 लाख रुपये के बजट में से 46 लाख रुपये केवल होटल और कैटरर पर खर्च कर दिए. अब नया खुलासा हुआ है कि गर्मी के महीने में बारिश का हवाला देकर SCERT ने हजारों रूपए के छाते खरीदे डाले. आम लोगों की खून पसीने की कमाई से जमा सरकारी खजाने को लुटाने का इससे बेहतर नमूना नहीं हो सकता. जो SCERT ने मई-जून महीने में हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम में कर दिखाया. SCERT ने इस टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए 27 हजार 300 रूपये के छाते खरीद लिए. थोक में की गई इस खरीदी के पीछे SCERT की दलील भी बेतुकी है.
जिम्मेदार अधिकारी कैमरे के सामने तो बोलने से कतरा रहे हैं. लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड दलील देते हैं कि प्रशिक्षण हॉल से खाने के स्टॉल तक जाने में टीचर्स कहीं धूप में बीमार ना पड़ जाए, इसलिए छातों की खरीदी की गई. लेकिन आप ये जानकर हैरान होंगे कि ट्रेनिंग हॉल से लंच स्टॉल की दूरी ही बमुश्किल 50 मीटर नहीं थी. दलील ये भी गिनाई जा रही है कि ट्रेनिंग के दौरान अगर बारिश हो जाती तो उससे बचाव भी जरूरी था. लेकिन जिम्मेदारों की ये दलील खुद स्कूल शिक्षा मंत्री को भी रास नहीं आ रही है. ट्रेनिंग के नाम पर पैसों की मची लूट का तो ये केवल एक नमूना भर है. हर साल स्कूल शिक्षा के अलग अलग विभाग ट्रेनिंग और वर्कशाप में इसी तरह 10 से 12 करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची कर देते हैं.