प्रदेश में मानसून आने के बाद अचानक ना जाने कहां गुम हो गए, घने बादल होने के बाद भी वो बरस नहीं रहे हैं। मानसून के भरोसे होने वाली खेती, आसमानी मोतियों के बरसने का इंतजार कर रहे हैं। खेती के लिए बैंकों के कर्ज के तले दबे किसानों को फसल की चिंता सता रही है। बिना पानी के खेतों में दरारें पड़ने लगे हैं। बारिश नहीं होने से जीव-जंतु के साथ-साथ किसानों की परेशानियों और दर्द को एक शख्स ने छत्तीसगढ़ी गाने में प्रस्तुत किया है।
गाने के माध्यम से शख्स ने किसानों के दर्द उनकी तकलीफों को बयां किया है। कि किस तरह एक किसान अपनी पेट काटकर, कर्ज लेता है। खेत में फसल बोने की तैयारी करता है। फसल के लिए बीज चुनता है। खाद की व्यवस्था करता है। लेकिन मौसम की बेरूखी उसकी सारी तैयारियों पर पानी फेर देती है।
बहरहाल ये शख्स कौन है ये तो हमें भी पता नहीं लेकिन छत्तीसगढ़ी बोली में इस शख्स ने पूरी शिद्दत से किसानों के दर्द को अपनी सुरताल के साथ प्रस्तुत किया है। ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। किसान से जुड़ा और प्रदेश की मातृ भाषा में गाया ये गाना हमें भी काफी अच्छा लगा इसलिए हमने इसे आपतक पहुंचाने की कोशिश की।
वेब डेस्क IBC24