मंगलवार दोपहर सर्व आदिवासी समाज और प्रशासनिक अमले के बीच बैठकों का दौर चला। जिसके बाद आदिवासी समाज के नेताओं ने बैठक को प्रशासान की सकारात्मक पहल बताते हुए कहा की यह तो अच्छा है कि समाज के लोगों के बुलाकर बैठक का आयोजन किया गया। लेकिन यदि हमारी मांगे नहीं मानी गई तो आर्थिक नाकेबंदी और फिर अलग बस्तर राज्य की मांग ही एकमात्र विकल्प बचेगा। वैसे बैठक में मौजूद अधिक्तर नेताओं ने प्रशासन की पहल पर संतोष जाहिर करते हुए कहा की यह पहली बार है जब समाज के लोगों को बुलाकर चर्चा की गई। इससे पहले तो प्रशासन सदैव बातचीत से भागता रहता था।
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