देखिए प्रेमनगर विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड | Watch Video :

देखिए प्रेमनगर विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

देखिए प्रेमनगर विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : August 7, 2018/2:32 pm IST

सूरजपुर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में आने वाली प्रेमनगर विधानसभा सीट की। फिलहाल यहां कांग्रेस का कब्जा है और खेलसाय सिंह यहां से विधायक हैंउनके पिछले कार्यकाल की बात करें तो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस विधानसभा क्षेत्र की आज भी जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते नजर आते हैंवहीं भ्रष्टाचार भी यहां बड़ी समस्या हैइसके अलावा सड़कों और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का मुद्दा भी आने वाले चुनाव में गूंजना तय है। चुनावी साल है तो इन मुद्दों को लेकर अब सियासत भी तेज हो चली है। 

कांग्रेस विधायक खेलसाय सिंह ने 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की दो बार विधायक और कद्दावर नेता रेणुका सिंह को हराया थाप्रेमनगर के लोगों को विश्वास था कि वे क्षेत्र का बेहतर विकास करेंगेलेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी ऐसा कुछ नजर नहीं देताऊपर से कांग्रेस विधायक पर निष्क्रियता का आरोप जरूर लगाविपक्ष तो इस काम में आगे था अब कांग्रेस में भी उनकी सक्रियता पर सवाल उठने लगे हैं। प्रेमनगर विधानसभा क्षेत्र में ना तो कोयले की कमी है और ना ही पानी कीसे देखते हुए यहां एक पॉवर प्रोजेक्ट शुरु किया गया था, इसके लिए जमीनें अधिग्रहित कर ली गईं, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरु नहीं हो सका है यहां की खस्ताहाल सड़कें लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैआज भी यहां दर्जनों ऐसे गांव हैं जो बारिश के दिनों में टापू बन जाते हैंजबकि मौसमी बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवाना यहां के लोगों की नियति बन ग हैवहीं भ्रष्टाचार का मुद्दा भी बड़ा सियासी मुद्दा बनकर गूंजना तय है।

यह भी पढ़ें : ऐसा रहा दक्षिण भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह करूणानिधि का जीवन सफर, मोदी ने दी श्रद्धांजलि

हालांकि इन आरोपों पर कांग्रेस विधायक का कहना है कि विपक्ष में रहते हुए जो निर्माण कार्य करवा सकते हैंउसके लिए वो प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वे ये भी मानते हैं कि विपक्ष का विधायक होने के कारण राज्य सरकार उनके साथ भेदभाव करती हैवहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि विधायकजी बहानेबाजी कर रहे हैं र लोगों को जानबूझकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रेमनगर, रामानुजनगर और सूरजपुर विकासखंड से मिलकर बने प्रेमनगर विधानसभा में यूं तो मुद्दों की कमी नहीं हैलेकिन सबसे बड़ा मुद्दा खुद विधायक ही बनते नजर आ रहे हैंकुल मिलाकर आने वाले चुनाव में खेलसाय सिंह के लिए इस बार प्रेमनगर की लड़ाई इतनी आसान नहीं रहने वाली है

प्रेमनगर विधानसभा के सियासी समीकरण की बात की जाए तो अभी तक यहां एक उपचुनाव समेत कुल 12 बार चुनाव हो चुके हैंइसमें से सात बार बीजेपी ने तो पांच बार कांग्रेस को जीत मिली है। प्रेमनगर को परंपरागत रूप से बीजेपी की सीट मानी जाती है, लेकिन कांग्रेस बीच-बीच में यहां बीजेपी के चुनावी रथ को रोकती रही है। परिसीमन के बाद यहां के सियासी फिजा में बदलाव आया है लेकिन जातिगत समीकरण अभी भी यहां के चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं।

सूरजपुर से अलग होकर बनी प्रेमनगर विधानसभा 1967 में पहली बार जब अस्तित्व में आई। तब ये सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी। 2008 में परिसीमन के बाद इसे सामान्य क्षेत्र घोषित कर दिया गया। प्रेमनगर के सियासी इतिहास की बात की जाए तो यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच हमेशा ही कड़ी टक्कर रही है। 1967 में इस सीट पर जनसंघ के सहदेव सिंह ने कब्जा जमाया। 1972 में जनसंघ ने अपना कब्जा बरकरार रखा और भुवनेश्वर सिंह यहां से चुनाव जीते। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर फिर यहां से सहदेव सिंह जीते। 1980 में कांग्रेस के चंदन सिंह ने इस सीट पर फतह हासिल की। 1985 में बीजेपी के तुलेश्वर सिंह ने ये सीट कांग्रेस से फिर छीन ली। 1990 में ये फिर कांग्रेस के खाते में आ गई और खेलसाय सिंह विधायक चुने गए। 1993 में तुलेश्वर सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1998 में तुलेश्वर सिंह ने फिर अपनी सफलता दोहराई और यहां से जीत हासिल की। 2003 में बीजेपी की रेणुका सिंह ने तुलेश्वर सिंह को हैट्रिक बनाने से रोक दिया। 2008 में परिसीमन के बाद ये सीट सामान्य हो गई लेकिन बीजेपी ने अपनी एसटी उम्मीदवार को रेणुका सिंह को रिपीट किया और उन्होंने जीत का सिलसिला बरकरार रखा। 2013 में भी रेणुका सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ीं। लेकिन उन्हें खेलसाय सिंह के हाथों शिकस्त खानी पड़ी। इस चुनाव में कांग्रेस को जहां 77318 वोट मिलेवहीं बीजेपी के खाते में 58991 वोट आए। इस तरह जीत का अंतर 18327 वोटों का रहा।

सीट पर जाति समीकरण की बात की जाए तो यहां 1 लाख 95 हजार मतदाता मतदाता हैं। इनमें से 55 से 60 फीसदी सामान्य और 32 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं इस तरह प्रेमनगर में आदिवासी वोटर हमेशा से ही एक बड़ा वोटबैंक रहे हैंवहीं रजवार और साहू वोटर भी नतीजों के प्रभावित करते आए हैं। प्रेमनगर विधानसभा क्षेत्र 2008 में सामान्य घोषित कर दी गयी थीइसके बाद भी बीजेपी और कांग्रेस इस सीट से लगातार आदिवासी चेहरों पर दांव लगाते आ रहे हैंपरिसीमन के पहले प्रेमनगर, सूरजपुर विधानसभा का हिस्सा था और ये एक आदिवासी विधानसभा थीलिहाजा यहां हमेशा ही आदिवासी नेताओं की चली हैआज भी यहां आदिवासी वोटर्स बड़ी सियासी ताकत हैंयही वजह है कि इस बार भी यहां दोनों तरफ से कई आदिवासी नेता टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैं।

यह भी पढ़ें : समुद्र की लहरों में गोते लगाने के शौकीन हैं तो हो जाएं सावधान, मुंबई में जेलिफिश का खतरा

सियासी महासमर 2018 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सियासी पैंतरेबाजी भी जोर पकड़ने लगी हैसीट के सामान्य कोटे के होने के बावजूद यहां से एसटी विधायक हैं। 2013 में भी कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने आदिवासी चेहरे पर दांव खेलाबीजेपी ने जहां रेणुका सिंह को रिपीट कियावहीं कांग्रेस ने खेलसाय सिंह को टिकट दियाइस चुनाव में खेलसाय की छवि रेणुका सिंह के व्यक्तित्व पर पर भारी पड़ गईअब जब चुनाव नजदीक है तो फिर से टिकट के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो चुकी हैकांग्रेस की बात करें तो मौजूदा विधायक खेलसाय सिंह एक बार फिर मैदान में होंगेहालांकि खेलसाय सिंह के रिश्तेदार और वर्तमान में सूरजपुर जिले में बीएमओ के पद पर सेवाएं दे रहे आरएस सिंह भी कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैंइसके साथ ही सूरजपुर ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अश्विनी सिंह का नाम भी दावेदारों की सूची में शामिल है।

बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो 2013 में चुनाव हारने वाली रेणुका सिंह एक बार फिर से टिकट की दौड़ में शामिल हैंहालांकि पिछले चुनाव में उनकी हार ने यहां कई नेताओं को आगे बढ़ने का मौका दे दिया हैइसमें पूर्व जनपद अध्यक्ष और वर्तमान में बीजेपी महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष पुष्पा सिंह भी शामिल हैंखास बात ये है कि पुष्पा सिंह कांग्रेस विधायक खेलसाय सिंह की रिश्तेदार भी लगती हैंबीजेपी के दूसरे दावेदारों की बात की जाए तो पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष भीमसेन अग्रवाल का नाम भी सामने आ रहा हैभीमसेन इससे पहले 2013 में भी टिकट की दावेदारी कर चुके हैं लेकिन उस वक्त संगठन ने उनके नाम पर विचार नहीं किया थाचूंकि प्रेमनगर सामान्य सीट है इसलिए अब ये आवाज उठने लगी है कि यहां से सामान्य वर्ग को ही टिकट दिया जाएयही वजह है कि चैंबर आफ कामर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष बाबू लाल अग्रवाल भी टिकट के लिए दावेदारी करते हुए नजर आ रहे हैं।

यह भी पढ़ें : डीएमके प्रमुख करूणानिधि का निधन, अस्पताल के बाहर उमड़े हजारों समर्थक

जाहिर है बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट दावेदारों के बीच टिकट पाने की होड़ सी मची है प्रेमनगर में फिलहाल जिस तरह का सियासी माहौल है,से देखते हुए कहा जा सकता है कि नेताओं का सियासत प्रेम, प्रेमनगर मे खूब तकरार मचाने वाला है

 

वेब डेस्क, IBC24