चित्रकोट। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है बस्तर क्षेत्र के चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के विधायकजी की। चित्रकोट विधानसभा बस्तर संभाग की अहम सीटों में से एक है। फिलहाल ये सीट कांग्रेस के पास है और दीपक बैज यहां से विधायक हैं। कांग्रेस विधायक के कार्यकाल की बात करें तो कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आती। कई मोर्चे पर फेल नजर आते हैं दीपक बैज। हालांकि इन आरोपों पर उनका कहना है कि राज्य में उनकी सरकार नहीं होने के करण उनके साथ भेदभाव किया जाता है। बावजूद इसके हर गांव तक बिजली और सड़क पहुंचाने खुद उन्होंने फावड़ा–कुदाल लेकर लोगों के बीच काम किया। लेकिन बीजेपी नेता महज इसे विधायक का प्रोपेगेन्डा बताते है।
यूं तो कांग्रेस विधायक दीपक बैज बस्तर के उन युवा विधायकों में से आते हैं। जो अपने क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं और दमदारी से अपने क्षेत्र के मुद्दों को विधानसभा में उठाते हैं लेकिन हमारी टीम जब कांग्रेस विधायक का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने चित्रकोट विधानसभा पहुंची और इस दौरान इलाके में हमें कई ऐसे लोग मिले, जो कांग्रेस विधायक को लेकर काफी नाराज दिखे। आप भी सुनिए उनकी नाराजगी की वजह।
चुनाव में अब कुछ महीनों का ही वक्त बचा है। ऐसे में बीजेपी भी कांग्रेस विधायक को घेरने में जुट गए हैं। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि वर्तमान विधायक ने कोई काम नहीं किया है बल्कि वो केवल सरकारी योजनाओं का श्रेय लेने में आगे रहते हैं। जिन मुद्दों और वायदों के भरोसे लोगों ने विधायक को वोट दिया, उनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। हालांकि कांग्रेस विधायक इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं।
यह भी पढ़ें : मतदाता सूची पुनरीक्षण की तारीख आगे बढ़ी, अब 31 अगस्त तक नाम जुड़वा सकेंगे नए वोटर्स
बस्तर छत्तीसगढ़ में वो इलाका है जहां आने वाले चुनाव में सबसे बड़ा सियासी घमासान देखने को मिल सकता है और यहां पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही बढ़त लेने के लिए पूरी तैयारी में जुट गई है। हालांकि सियासी दांवपेंच के बीच चित्रकोट की जनता भी रिपोर्ट कार्ड बनाने में जुट गई है और वोट मांगने जाने से पहले नेताओं को जनता की खरी-खोटी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। बस्तर संभाग का ये आदिवासी इलाका घने जंगलों, पहाड़ों से घिरा होने के कारण पर्यटन के लिहाज से भी काफी अहम है। लेकिन नक्सल प्रभावित होने के कारण विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट गया है। दरभा, बस्तानार, लोहंडीगुड़ा विकासखंड जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र चित्रकोट विधानसभा में आते हैं। इन इलाकों दर्जनों ऐसे गांव हैं जो पहुंचविहीन होने के साथ आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
चित्रकोट जलप्रपात जिसे छत्तीसगढ़ का नियाग्रा फाल भी कहा जाता है। चित्रकोट में ही पूरे शबाब पर रहती है इंद्रावती नदी। पर्यटन के लिहाज से भी देखें तो बस्तर और छत्तीसगढ़ को अलग पहचान देती है। चित्रकोट जलप्रपात के अलावा विधानसभा क्षेत्र में लोहंडीगुड़ा विकासखंड भी चर्चित रहा है, जिसे लेकर कई सालों से यहां सियासत जारी है। लोहंडीगुड़ा के 10 गांव की करीब 2044 हेक्टेयर जमीन टाटा को स्टील प्लांट लगाने के लिए सरकार ने अधिग्रहित की थी पर इन 10 गांव के लोगों को न तो सही तरीके से मुआवजा मिला, ना ही प्लांट का कोई अता पता है। लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में ये जमीन सरकार के पास चली गई है। ऐसे में लोग अपनी जमीन वापस मांग रहे हैं क्योंकि वादे के मुताबिक उन्हें नौकरी मिली नहीं और उनकी जमीन गई वो अलग।
स्टील प्लांट से प्रभावित लोगों के अलावा विधानसभा क्षेत्र के दरभा और बास्तानार इलाके में लोग नक्सल समस्या से जूझ रहे हैं। इसका असर यहां की शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा है। यही वजह है कि बास्तानार जैसे विकासखंड आज भी बेहद पिछड़े हुए हैं। बीते कुछ सालों से कुपोषण भी यहां बड़ी समस्या बनकर उभरी है, जिसे लेकर लोगों में शिकायतों के लंबी लिस्ट है।
बिन्ता कक्नार घाटी का ऐसा इलाका है जहां कई गांव आज भी बारिश के दौरान टापू बन जाते हैं। इन पंचायतो में रह रहें सैकड़ों लोग आज भी अबूझमाड़ की तरह पहुंचविहीन है। इसे लेकर ग्रामीणों ने कांग्रेस विधायक को गांव में जनसंपर्क करने से भी रोक दिया क्योंकि उन्होंने पिछले वायदे पूरे नहीं किए।
यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में भेजे जायेंगे 7 हजार सीआरपीएफ जवान
कांग्रेस विधायक ने मारडूम गांव को गोद लिया तो यहां के लोगों को लगा कि उनकी तकदीर बदल जाएगी, लेकिन यहां भी हालात नहीं बदले। यहां महीनों बिजली गुल रहती है। पानी और सड़क जैसी बुनियादी समस्याएं भी जस की तस है। कुल मिलाकर आने वाले चुनाव में कांग्रेस विधायक को ऐसे कई सवालों का सामना करना पड़ेगा जिनका जवाब देना उनके लिए आसान नहीं होगा।
चित्रकोट के सियासी समीकरण की बात की जाए तो 2008 में परिसीमन के बाद केशलुर विधानसभा को विलोपित कर चित्रकोट विधानसभा में शामिल किया गया। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित इस विधानसभा को लेकर एक दिलचस्प आंकड़ा है कि यहां की जनता ने किसी एक चेहरे को लगातार मौका नहीं देती है। लिहाजा इस बार भी कांग्रेस और बीजेपी में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। कांग्रेस में जहां दीपक बैज टिकट के स्वाभाविक उम्मीदवार हैं। वहीं बीजेपी में एक से ज्यादा नेता टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
बस्तर जिले में आने वाली चित्रकोट विधानसभा की जनता हर बार नए चेहरे को मौका देती रही है। परंपरागत तौर पर भी वो किसी एक दल से बंधा हुआ नहीं है। चुनाव नतीजे भी बताते हैं कि चित्रकोट विधानसभा में पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी मायने रखता है। फिलहाल सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और दीपक बैज यहां से विधायक हैं।
चित्रकोट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो छ्तीसगढ़ गठन के बाद अब तक हुए तीन विधानसभा चुनाव हुए जिसमें से दो बार बीजेपी जबकि एक बार कांग्रेस यहां जीतने में सफल रही। 2003 के विधानसभा चुनाव में लच्छूराम कश्यप ने यहां बीजेपी को जीत दिलाई। वहीं 2008 में परिसीमन के बाद केशलुर विधानसभा को विलोपित कर चित्रकोट में शामिल किया गया और केशलुर विधायक बैदूराम कश्यप बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बैदूराम कश्यप पर फिर भरोसा जताया लेकिन कांग्रेस ने युवा चेहरे दीपक बैज को चुनाव मैदान में उतारा जिन्होंने सीट को दोबारा कांग्रेस के पाले में डाल दिया। इस चुनाव में कांग्रेस को जहां 50303 वोट मिले। वहीं बीजेपी प्रत्याशी को महज 37974 वोट मिले। इस तरह जीत का अंतर 12329 वोटों का रहा।
वैसे तो चित्रकोट में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है। सर्वाधिक जनाधार वाले इन दोनों ही दलों में दावेदारों की कोई कमी नहीं है। आने वाले चुनाव में भी सही उम्मीदवार को टिकट देना दोनों ही सियासी पार्टियों के लिए आसान नहीं रहने वाला। बीजेपी की बात करें तो पिछला चुनाव हारने वाले बैदूराम कश्यप का नाम इस बार भी संभावित दावेदारों की लिस्ट में सबसे पहला है..बैदूराम कश्यप एक बार फिर चित्रकोट से टिकट के लिए सक्रिय नजर आ रहे हैं। इनके अलावा 2003 में चुनाव जीतने वाले लच्छूराम कश्यप भी बीजेपी से टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
यह भी पढ़ें : मंदसौर में मासूम से गैंगरेप के दो दोषियों को फांसी की सजा का ऐलान
इन दोनों के अलावा संघ परिवार से जुड़े रहे बसंत कश्यप नया और चर्चित चेहरा है। जिनको लेकर संगठन में चर्चा है। वहीं जलंधर बघेल, विनायक गोयल सहित करीब आधा दर्जन सीनियर नेता यहां से टिकट की मांग कर रहे हैं और पार्टी आलाकमान के सामने यहां सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो सही उम्मीदवार पर दांव लगाएं वरना पिछली बार की तरह इस बार गुटबाजी तय है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो मौजूदा विधायक दीपक बैज की टिकट लगभग तय मानी जा रही है। मगर आधा दर्जन नेताओँ ने कांग्रेस से दावेदारी के लिए नामांकन फॉर्म लिया है। हालांकि विधायक दीपक बैज इससे ज्यादा चिंतित नजर नहीं आते। चित्रकोट में इस बार जेसीसीजे के उतरने से यहां के सियासी समीकरणों पर असर पड़ सकता है। हालांकि चित्रकोट जैसी नक्सल प्रभावित सीट पर चुनाव मैनेजमेंट पर पार्टियों की सफलता काफी कुछ निर्भर करेगी।
वेब डेस्क, IBC24
खबर लोस चुनाव मप्र मोदी चार
2 weeks agoखबर लोस चुनाव मप्र मोदी दो
2 weeks agoखबर लोस चुनाव मप्र मोदी
2 weeks ago