देखिए मनेंद्रगढ़ के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर | Watch Video :

देखिए मनेंद्रगढ़ के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर

देखिए मनेंद्रगढ़ के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : October 16, 2018/2:16 pm IST

मनेंद्रगढ़। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट की। मनेंद्रगढ़ में मुद्दों की सियासत शुरू हो चुकी हैयहां कई ऐसी स्थानीय समस्याएं ऐसी हैं जिन्हें लेकर लंबे समय तक लोगों को आंदोलन करना पड़ा है, लेकिन इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला है एक मुद्दा यहां ऐसा भी है जो इस इलाके के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है वो मुद्दा है चिरमिरी की बंद होती कोयला खदानें, जिनके चलते यहां रोजगार की समस्या पैदा हो गई है और लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैंइसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी लोगों मे नाराजगी हैजाहिर है, अगले चुनाव में ये मुद्दे बीजेपी विधायक के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं।

मनेंद्रगढ़ की सियासत से कोयले का गहरा नाता हैदरअसल मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े इलाके चिरमिरी में जिंदगी इन्हीं कोयला खानों के इर्द-गिर्द घूमती हैएक तरह से कहें तो ये कोयला ही यहां की सारी गतिविधियों का आधार हैलेकिन अब चिरमिरी की बसाहट पर ही संकट के बादल मंडरा रहे हैंवजह है लगातार बंद होती  कोयला खानेंकोयला खदानों के बंद होने से बड़ी संख्या में खान मजदूर बेरोजगार हो गए हैं और वो यहां पलायन करने को मजबूर हैं।

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वैसे तो बुंदेली में कोयला और पानी की भरमार है और यहां पावर प्लांट लगाने की घोषणा खुद सरकार ने की थीजगह का भी चिन्हांकन हो गया था लेकिन एक दशक बीत जाने के बाद भी पावर प्लांट का कुछ पता नहींवहीं मनेंद्रगढ़ में मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग भी काफी पुरानी हैपलायन और बेरोजगारी के अलावा मनेंद्रगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी बड़ी समस्या हैवहीं जंगली क्षेत्र होने के कारण हाथियों के हमले की भी समस्या आम है, जिससे लोग परेशान रहते हैंहालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि विधायक ने कुछ समस्याओं को दूर करने में अपनी भूमिका निभायी है, फिर भी क्षेत्र को मिल रही सुविधाओं से वो संतुष्ट नहीं हैविपक्ष जहां विधायक की कमियां गिनाने में लगा है तो सत्ता पक्ष अपनी उपलब्धियां गिना रहा है।

2013 में स्थानीय मुद्दों की अनदेखी की वजह से ही बीजेपी ने मौजूदा विधायक की टिकट काटकर नए चेहरे श्याम बिहारी जायसवाल को मौका दिया थालिहाजा नए विधायक के सामने ये जिम्मेदारी थी कि वो जनता को खुश रखें और स्थानीय मुद्दों पर अपनी पकड़ बनाकर रखेंअब वो इसमें कितना सफल हुएये तो 2018 विधानसभा चुनाव का नतीजा ही बताएगा। मनेंद्रगढ़ के सियासी मिजाज की बात करें तो 2008 में परिसीमन के बाद इस विधानसभा सीट का दायरा थोड़ा सा सिमट गया लेकिन इसका महत्व अभी भी कम नहीं हुआ हैसरगुजा संभाग की अहम सीट मनेंद्रगढ़ पर कभी कांग्रेस का राज हुआ करता था, लेकिन बीते एक दशक से यहां बीजेपी का कब्जा है

हरेभरे पहाड़ों के बीच बलखाती सड़कें, अलसाए से गांव कस्बे और काला हीरा यानी कोयले की खानें कोयले की नगरी के नाम से मशहूर मनेंद्रगढ़ विधानसभा सरगुजा संभाग की अहम सीट हैराज्य के सबसे छोटे विधानसभा क्षेत्रों में से एक मनेंद्रगढ़ में एक नगर निगम, एक नगर पालिका और एक नगर पंचायत के साथ 36 ग्राम पंचायतें शामिल हैंइस तरह इसके ज्यादातर इलाके को शहरी माना जा सकता है मनेन्द्रगढ़ की कुल जनसंख्या 2 लाख 11 हजार 334 है, जिसमें 67 हजार 255 पुरूष मतदाता और 62 हजार 613 महिला मतदाता है जो चुनाव में प्रत्याशी का भविष्य तय करते हैं।

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मनेंद्रगढ़ के सियासी इतिहास की बात की जाए तो 1957 में कांग्रेस के रघुबर सिंह ने यहां चुनाव जीतेइसके बाद 1962 में हुए चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के रत्तीराम को जीत मिली। 1967 और 1972 में कांग्रेस के धरमपाल सिंह ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 1977 में हुए चुनाव में आपातकाल की लहर में जनता पार्टी के राम सिंह ने इस सीट पर फतह हासिल की लेकिन 1980 और 1985 में इस सीट पर एक बार फिर कांग्रेस को जीत मिली और विजय सिंह यहां से विधायक चुने गए। 1990 में चंद्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस को हराकर बीजेपी का परचम लहरायावहीं 1993 के चुनाव में कांग्रेस के लाल विजय प्रताप सिंह ने बीजेपी के चंद्र प्रताप को हराकर यहां फिर से कांग्रेस को सीट दिलाई। 1998 में कांग्रेस ने नए चेहरे पर भरोसा जताते हुए गुलाब सिंह को टिकट दिया जिन्होंने बीजेपी से सीट छिनकर कांग्रेस के पाले में डाल दिया।  छत्तीसगढ़ के अलग राज्य गठन के बाद 2003 में हुए पहले चुनाव में बीजेपी को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के गुलाब सिंह यहां से विधायक चुने गए। 2008 में सामान्य सीट होने के बाद बीजेपी ने दीपक पटेल को मौका दिया जिन्होंने एनसीपी के रामानुज अग्रवाल को हराया। 2013 के आम चुनाव में बीजेपी ने दीपक पटेल की टिकट काटकर श्याम बिहारी जायसवाल को मौका दिया जिन्होंने कांग्रेस के गुलाब सिंह को मात दी।

मनेंद्रगढ़ में जाति समीकरण खास मायने नहीं रखते हैंअलबत्ता यहां उम्मीदवार की छवि और विकास कार्य जरूर नतीजों को प्रभावित करते आए हैं और इस बार भी मनेंद्रगढ़ को वही जीत पाएगा जो लोगों के दिलों को जीत पाएगा मनेंद्रगढ़ की चुनावी समीकरण की बात की जाए तो वो थोड़ी उलझी हई नजर आती हैबीजेपी के मुकाबले कांग्रेस में दावेदारों की लिस्ट लंबी हैबीजेपी से जहां मौजूदा विधायक श्याम बिहारी जायसवाल टिकट के प्रबल दावेदार हैंलेकिन पार्टी के अंदर भी उन्हें चुनौती मिल रही हैवहीं दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से एक नहीं बल्कि दो दर्जन दावेदार मैदान में हैआगामी चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और जेसीसीजे के प्रत्याशी भी इस बार दोनों पार्टियों का समीकरण बिगाड़ सकती है।

2008 में आदिवासी सीट से सामान्य सीट में बदली मनेंद्रगढ़ विधानसभा की राजनीति बेहद दिलचस्प हैयहां के आदिवासी वोटर्स ने सभी सियासी दलों को बराबर मौका दियासाल 2008 के चुनाव में बीजेपी के दीपक पटेल यहां से पहली बार सामान्य सीट से विधायक निर्वाचित हुए जिन्होंने एनसीपी के रामानुज अग्रवाल को मात दी थी इस चुनाव में कांग्रेस ने एनसीपी को अपना समर्थन दिया था। मिशन 2018 के लिए यहां एक बार फिर यहां टिकट के लिए सियासी दांवपेंच चलनी शुरू हो गई हैबीजेपी में संभावित दावेदारों की बात करें तो अपने 5 साल के कार्यकाल के बाद श्याम बिहारी जायसवाल टिकट मिलने के प्रति काफी आश्वस्त दिखा दे रहे हैंश्याम बिहारी विधायक बनने के पहले खड़गवां जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष रहे हैवे ऐसे पहले विधायक हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र की जनता से मिलने मनेन्द्रगढ़ और चिरमिरी में कार्यालय खोला और जनता से मिलने का दिन भी निर्धारित किया जिसकी वजह से उनकी लोकप्रियता अन्य विधायकों की तुलना में ज्यादा दिखा देती हैउनके अलावा बीजेपी नेता लखन लाल श्रीवास्तव भी टिकट का दावा ठोंक रहे हैं।

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वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में दावेदारों की बात करें तो यहां एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति नजर आती हैकांग्रेस से यहां अब तक 24 दावेदारों का नाम सामने आए हैं जिसमें मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष राजकुमार केशरवानी, डॉक्टर विनय जायसवाल और अधिवक्ता रमेश सिंह के साथ ही पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रभा पटेल का नाम आगे चल रहा हैराजकुमार नगरपालिका अध्यक्ष के पहले दो बार पार्षद रह चुके है और मनेन्द्रगढ़ शासकीय विवेकानन्द महाविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे है वहीं डॉक्टर विनय जायसवाल कांग्रेस में चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष हैसियासी माहौल के बीच ये भी कयास लगाए जा रहे है कि निर्दलीय चुनाव लड़कर महापौर बनने वाले और हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले डोमरु रेड्डी भी कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं

मनेंद्रगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ भी अपनी मौजूदगी भी चर्चा में हैहालांकि पार्टी ने यहां प्रत्याशी ऐलान नहीं किया हैलेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि जोगी परिवार से ही कोई मैदान में उतर सकता हैमनेंद्रगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अच्छा खासा प्रभाव हैपार्टी के जिलाध्यक्ष आदित्य डेविड की टिकट पक्की मानी जा रही हैपिछले चुनावों में गोंडवाना ने यहां काफी अच्छा प्रभाव डाला था और अब कांग्रेस से गठबंधन ना होने की स्थिति में गोंडवाना यहां पूरा दम लगाएगी अब देखना ये है कि यहां की जनता किस पर अपना भरोसा जताती है।

वेब डेस्क, IBC24