छत्तीसगढ़ के हाथी क्यों बन गए हत्यारे | Why are Elephants in Chhattisgarh going on Rampage

छत्तीसगढ़ के हाथी क्यों बन गए हत्यारे

छत्तीसगढ़ के हाथी क्यों बन गए हत्यारे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : November 6, 2017/11:44 am IST

छत्तीसगढ़ में हाथियों का आतंक बढ़ते ही जा रहा है आये दिन हमे सरगुजा अंबिकापुर बस्तर इलाके से हाथियों  के द्वारा किये जा रहे जानमाल  के खतरे की खबर सुनने मिलती है क्या कभी हमने सोचा है की आखिर क्या वजह है की शांत और हरफन मौला स्वभाव के रहने वाले ये हाथी क्यों इतने आक्रामक होते जा रहे है कि सरकार की द्वारा किये जा रहे  सारे उपायों पर ये हाथी भारी पड़ रहे है।
जब हमने उस इलाके के लोगो से जानकारी ली तो पता चला की आदिवासी इस इलाके में बहुतायत में होने वाले महुआ से शराब बनाते हैं. महुआ की नशीली गंध, जशपुर के जंगलों के आस-पास के हाथियों को अपनी ओर खींचती है जो  गांवों में जबरदस्त तबाही लेकर आती है। एक और जहा हाथियों को मदमस्त कहा जाता है तो ये बात तय है की उनका गांव के अंदर घुसने का कारण शराब की भीनी भीनी खुश्बू ही हो सकती है जो उन्हें उत्पात करने के लिए मजबूर कर  रही है। दूसरी वजह यह भी कह सकते है की शहरी संस्कृति के विकास ने गांव में जंगल को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और जो जंगल हाथियों के अपने इलाके थे जहां वे स्वछंद विचरण करते थे वहाँ लोगो ने खेती करना और निवास करना शुरू कर दिया है जिसे लेकर हाथियों में अपने अस्तित्व को लेकर खतरा नज़र आ रहा होगा।खैर वजह जो भी हो लेकिन ये बात तय है की अगर हाथी और ग्रामीणों में से किसी को भी खतरा होता है तो ये चिंता की बता है। और इन्ही बातो को गौर करने के बाद सरकार इनके आतंक को रोकने के लिए कई प्रयास कर रही है जिनमे  हाथी बचाव व पुनर्वास केंद्र पिंगला को विकसित करने का काम आरंभ कर दिया गया है।साथ ही कई ग्रामीण इलाके में आम नागरिको को सुरक्छित रखने के लिए ड्रोन कैमरे की भी मदद ली जा रही ही जिससे की आस पास आते हाथियों के बारे में ग्रामीण पहले से सचेत हो जाये।

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 प्रस्तावित स्थल तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण का काम पूरा होते ही वन विभाग द्वारा हाथियों के भोजन हेतु रसोई घर निर्माण, नहाने के लिए बाथिंग साइड, महावतों और प्रभारी कर्मचारियों के आवास व कीचन शेड निर्माण का ले-आउट का काम सोमवार को पूरा किया गया।  अब शीघ्र ही हाथी बचाव व पुनर्वास केंद्र की स्थापना का काम शुरू करा दिया जाएगा।हाथियों से जानमाल की सुरक्षा को लेकर वन विभाग द्वारा हाथी बचाव व पुनर्वास केंद्र का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा गया था। इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। सूरजपुर व बलरामपुर जिले की सीमा पर तैमोर पिंगला अभ्यारण्य क्षेत्र के बाहर हाथी बचाव व पुनर्वास केंद्र पिंगला के नाम से 4.86 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है। इसी जमीन पर हाथी बचाव व पुनर्वास केंद्र को विकसित किया जाना है। घने जंगलों व नदी, नालों से आच्छादित उक्त क्षेत्र में पहुंचने के लिए पहले सड़क नहीं थी। निर्माण सामग्रियों को स्थल तक पहुंचाने हेतु जरूरी था कि सड़क निर्माण का काम कराया जाए। इस हेतु वन विभाग ने सबसे पहले प्रस्तावित स्थल तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क का निर्माण पूरा करा लिया है ताकि हाथियों को यहां सुरक्षित तरीके से रखा जा सके।

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हाथी बचाव व पुनर्वास केंद्र पिंगला की स्थापना हो जाने से हाथियों से होने वाले जानमाल के नुकसान से बचा जा सकेगा। चूंकि कर्नाटक से छह प्रशिक्षित हाथी छत्तीसगढ़ लाए जा रहे हैं. इन प्रशिक्षित हाथियों का उपयोग उत्पाती जंगली हाथियों को बंदी बना काबू में करने के लिए किया जाएगा। ऐसे में इस केंद्र में जंगली हाथियों को रहवास का अनुकूल माहौल देकर आबादी क्षेत्र से दूर रखने में मदद मिलेगी, जिससे जानमाल का नुकसान नहीं होगा। उत्पाती जंगली हाथियों को यहां लाकर क्राल में रख उनके आक्रामक व्यवहार में भी बदलाव लाया जाएगा।हाथी विचरण क्षेत्र की निगरानी के लिए अब हाईटेक तकनीक इस्तेमाल किया जाएगा। दिन में हाथियों के विचरण की स्थिति की जानकारी प्राप्त करने ड्रोन कैमरे की मदद ली जाएगी। इसकी सहायता से दिन में हाथियों के विचरण क्षेत्र तथा रात्रि के समय ठहरने के संभावित स्थान का पता लगाकर संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों को सूचित करते हुए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। बहरहाल आज भी सूरजपुर जिले में हाथियों का आतंक और हाथियों के मौत का सिलसिला लगातार जारी है.और यह हमारे समाज के लिए चिंता का विषय है कि आखिर छत्तीसगढ़ के हाथी क्यों बन गए है हत्यारे.

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ibc 24 डेस्क से रेणु नंदी