कम होते जंगल पर हाईकोर्ट ने माँगा जवाब | Why the Crores of Plants Against Every Year, The High Court Responds

कम होते जंगल पर हाईकोर्ट ने माँगा जवाब

कम होते जंगल पर हाईकोर्ट ने माँगा जवाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : November 21, 2017/7:05 am IST

दुनिया में आज भी लोग हरियाली के लिए क्या कुछ नहीं कर रहे ऐसे ही एक आर टी आई एक्टिविस्ट ने छत्तीसगढ़  में प्रतिवर्ष करोड़ों पौधों के वृक्षारोपण होने के बावजूद  15 वर्षों में छत्तीसगढ़ में जंगल कम होने के मामले में याचिका लगायी थी जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है.  मुख्य न्यायधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति शरद कुमार गुप्ता की युगल पीठ ने जनहित याचिका स्वीकारते हुए शासन, वन विभाग और वन विकास निगम से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. हरिहर 2017 के तहत 8 करोड़ 2 लाख पौधे लगाये है, हरिहर 2016 में 7 करोड़ 60 लाख पौधे लगाये गये, हरिहर 2015 में 10 करोड़ पौधे लगाये गये. छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात् लगातार वृक्षारोपण होने के बावजूद वर्ष 2001 से 2015 तक लगभग 3 प्रतिशत जंगल अर्थात् 3700 वर्ग कि.मी. जंगल कम हो गया है.

याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1986 में मध्यप्रदेश के समय से जारी प्लानटेशन टेकनीक के अनुसार वृक्षारोपण हेतु जगह का चयन वृक्षारोपण करने के एक वर्ष पूर्व ही कर दिया जाना चाहिये तथा वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मियों में ही वृक्षारोपण हेतु गड्ढें खुद जाने चाहिये तथा वृक्षों की देखरेख 3 वर्षों तक होनी चाहिये। वन विभाग ने 2013 में निर्देश दिये थे कि हर हालत में 20 जुलाई तक वृक्षारोपण कार्य पूर्ण हो जाना चाहिये तथा बरसात या विषम परिस्थितियों हो तो 31 जुलाई तक वृक्षारोपण किया जा सकता है परंतु उसके लिये मुख्यालय से अनुमति लेनी होगी।

याचिका में बताया गया कि 2017 में तो हरिहर कार्यक्रम ही 20 जुलाई को चालू किया गया जब कि 20 जुलाई तक वृक्षारोपण पूर्ण हो जाना चाहिय। गर्मियों में गड्ढे खोदने की जगह रायपुर में तो वृक्षारोपण हेतु जगह ढूढ़ने के आदेश ही बरसात चालू होने के बाद 20 जून को दिये गये. धनसुली में अगस्त में वन अधिकारियों ने अपने सामने गड्ढे खुदवा के वृक्षारोपण कराया, आक्सीजोन रायपुर में तो सितम्बर में गड्ढ़े खोदे जा रहे थे. यहां तक कि डिवाईडर में भी सागौन पेड़ों का वृक्षारोपण कर दिया गया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखानिरीक्षक ने भी आपत्ति की है कि वृक्षारोपण बिना योजना के कर दिया जाता है, स्थान का ध्यान यथोचित नहीं होता और वृक्षारोपण पश्चात् देख-रेख के लिये फण्ड भी नहीं दिये जाते। याचिका में बताया गया कि वन विभाग मुख्यालय के पास वर्ष 2001 से 2017 के मध्य हुऐ वृक्षारोपण के आकड़ों की जानकारी ही नहीं है। बताया गया कि यह जानकारी वन मंडलाधिकारी के पास ही उपलब्ध होती है.याचिकाकर्त्ता ने याचिका में मांग की है कि उचित निर्देंश जारी किये जावें कि वृक्षारोपण पूर्णः वैज्ञानिक तरीके से किया जावे तथा पौधों की उचित समय तक रख-रखाव एवं मानिटरिंग की जावें।

ibc24 web team