भोपाल। शिवराज मंत्रिमंडल के पूर्ण गठन के बाद सत्ता के गलियारों से लेकर प्रशासनिक हल्कों तक प्रभारी मंत्री की सुगबुगाहट तेज हो गई है। मार्च में सरकार गठन के बाद प्रभारी मंत्री कमल पटेल रहेंगे या फिर बालाघाट से राज्यमंत्री बनाए गए रामकिशोर कांवरे यह दायित्व सम्भालेंगे। इस पर कयास लगाए जा रहे हैं।
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सत्तारुढ़ नेता इसकी घोषणा का इंतजार करने को कह रहे हैं। जिले में प्रभारी मंत्री का इतिहास देखा जाए तो वर्ष 2018 से पहले भाजपा सरकार में केबिनेट मंत्री रहे गौरीशंकर बिसेन सबसे लंबे समय पर छिंदवाड़ा का दायित्व सम्भालते रहे। उसके बाद बनी कांग्रेस सरकार में जिले के नेता कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो प्रभारी मंत्री सुखदेव पांसे बनाए गए, लेकिन सीएम की मौजूदगी के चलते 15 माह में वे कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए।
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20 मार्च के बाद कांग्रेस सरकार के पतन के बाद शिवराज सिंह पुन: मुख्यमंत्री बने तो कोरोना संकटकाल में हरदा से मंत्री बनाए गए कमल पटेल को प्रभारी मंत्री बनाया गया। तब से कागज में वे अभी भी प्रभारी मंत्री हैं। उनके दौरे छिंदवाड़ा जिले में कहीं नहीं हो पाए। कोरोना लॉकडाउन खत्म होने के बाद अनलॉक 2.0 में जैसे ही राजनीतिक गतिविधियां बढ़ीं और मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो महाकौशल क्षेत्र से बालाघाट से राज्यमंत्री बतौर रामकिशोर कांवरे शामिल हुए।
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विस्तार के बाद से ही राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में प्रभारी मंत्री के नाम की बहस छिड़ी है। खासकर कमल पटेल और कांवरे के नाम पर अलग-अलग दांव लग रहे हैं। फिलहाल प्रभारी मंत्री के नाम का प्रशासनिक हल्कों में भी बेसब्री से इंतजार है।
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