बीजेपी की ललकार...कांग्रेस भी धारदार! क्या प्रदर्शन बनाम प्रदर्शन की इस सियासी लड़ाई से किसानों का हित होगा? | Will this political battle of performance versus performance benefit the farmers?

बीजेपी की ललकार…कांग्रेस भी धारदार! क्या प्रदर्शन बनाम प्रदर्शन की इस सियासी लड़ाई से किसानों का हित होगा?

बीजेपी की ललकार...कांग्रेस भी धारदार! क्या प्रदर्शन बनाम प्रदर्शन की इस सियासी लड़ाई से किसानों का हित होगा?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : January 22, 2021/5:38 pm IST

रायपुरः धान और किसान के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों सड़क पर है। दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर हल्ला बोल रहे हैं। खुद को किसान का हितैषी और विपक्षी दल को किसान विरोधी साबित करने निकले हैं। बीजेपी के तमाम बड़े नेता प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे तो जवाब में कांग्रेस ने केंद्र और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। लेकिन सवाल ये है कि क्या प्रदर्शन बनाम प्रदर्शन की इस सियासी लड़ाई से किसानों का हित होगा?

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प्रदेश में धान खरीदी और किसान के मुद्दे पर सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने है। धान खरीदी में अव्यवस्था और किसानों की परेशानी को लेकर बीजेपी ने प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करते हुए राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। राजधानी रायपुर में कलेक्ट्रेट का घेराव करने निकले बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झूमाझटकी भी हुई। प्रदर्शन के दौरान रमन सिंह और बीजेपी के सह प्रभारी नितिन नबीन सहित कई नेताओं ने गिरफ्तारी भी दी।

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वहीं बीजेपी के धरना-प्रदर्शन के जवाब में भी कांग्रेस भी मैदान में उतरी। रायपुर में सत्ता पक्ष के तीन मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार का पक्ष रखा। वहीं, केंद्रीय कृषि क़ानून के विरोध में युवा कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। युवक कांग्रेस ने रैली निकालकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का घेरने की कोशिश की। लेकिन ओसीएम चौक पर पुलिस ने कांग्रेसियों को रोक दिया, जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने सड़क पर बैठकर धरना दिया। कांग्रेस ने अलग-अलग जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।

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बहरहाल अब तक कोरोना महामारी की वजह से बीजेपी-कांग्रेस में सोशल मीडिया पर जारी वर्चुअल लड़ाई अब सड़क पर आ गई है..सूबे में काफी लंबे समय बाद हुआ है जब एक ही दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष आंदोलन कर रहे हों। एक के निशाने पर केंद्र सरकार है, तो दूसरे के निशाने पर राज्य सरकार। कुल मिलाकर धान के कटोरे में किसानों के नाम पर चढ़ा सियासी पारा जल्द नीचे आएगा लगता नहीं है।

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