खंडवा। टीबी के नाम से खौफ-सा लगता है, लेकिन सही इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो सकती है। इसी के तहत खंडवा कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने इलाके में टीबी से पीड़ित आदिवासियों को दवा खिलाने से लेकर मॉनिटरिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। जिसमें संबंधित चिन्हित मरीजों को दवा खिलाकर सॉफ्टवेयर पर फोटों अपलोड करना होता है इससे मरीजों का सही ढंग से मॉनिटरिंग हो रही है।
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खंडवा जिले के आदिवासी अंचल खालवा में पिछले एक दशक में 300 से ज्यादा लोगों की इस बीमारी से जान चली गई. आदिवासी बहुल इलाका होने के कारण जागरूकता के अभाव में कई लोग बिना ईलाज के ही मौत के मुंह में समा गए. रोजगार के लिए बाहर पलायन करने वाले मजदूर खालवा क्षेत्र में बड़ी मात्रा में टीबी से ग्रसित होकर खंडवा आते और मौत को गले लगाते थे। नीति आयोग ने खंडवा जिले को पिछड़े जिले की श्रेणी में शामिल किया है। लिहाजा खंडवा से टीबी बीमारी को खत्म करने के लिए तेजी से कारगर कदम उठाये जा रहे हैं। इसके लिए खंडवा जिले के सात विकासखंड में सात सेंटर खोले गए हैं।
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इसके साथ आम लोगों को भी जागरुक होना पड़ेगा। अगर आपको तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी हो रही है तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें, वह भी नियमित तौर पर। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और इलाज रोक देता है। ऐसा बिलकुल न करें।
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