यहां के आदिवासी रावण को मानते हैं अपना आराध्य... दहन का विरोध शुरू | yahan ke adiwasi ravan ko mante hai apna aradhy... dahan ka karte hai virodh

यहां के आदिवासी रावण को मानते हैं अपना आराध्य… दहन का विरोध शुरू

यहां के आदिवासी रावण को मानते हैं अपना आराध्य... दहन का विरोध शुरू

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : September 25, 2017/11:45 am IST

 

खुद को हिन्दू न मानने वाले आदिवासी समाज ने एक बार फिर रावण दहन को लेकर विरोध शुरू कर दिया है। बैतूल में आदिवासी समाज से जुड़े संगठनों ने रावण दहन पर एतराज जताते हुए इसे बंद करने की मांग की है। रावण दहन के खिलाफ एकजुट हो रहे आदिवासी संगठनों ने इसके लिए आरएसएस प्रमुख से लेकर दूसरे हिन्दू संगठनों को पत्र लिखकर रावण दहन पर रोक लगाने की भी मांग की है। आदिवासियों ने इसके लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर दहन रोके जाने की मांग की है।

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आदिवासी संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे अपने आराध्य का अपमान सहन नहीं करेंगे जगह जगह बैठक, ज्ञापन, रैली और विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासी संगठनों का साफ कहना है कि उनके देवता का अपमान बंद नहीं किया गया तो वे बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार कर प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे। रावण ने आदिवासी समाज के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वहीं आर्य लोगों पर अनर्गल तरीके से प्रचार करने का आरोप लगाते हुए घोर निंदा की है। उनका कहना है कि आर्य लोगांे ने सीताहरण जैसी दूसरी बातंे फैलाई हैं।

 

रावण हमारे देवता है.. हम उनकी पूजा करते है

हम संगठन के माध्यम से ये बतलाना चाहता है की हम लोग मूल निवासी है हमें रावण को नहीं जलाना चाहिए इस मामले को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर इसे बंद करने की मांग करेंगे। हमारे जिले के छतरपुर के पहाड़ में स्थित रावण की हम सभी आदिवासी साल में एक बार पूजा करते है रावण हमारे आराध्य देव है हम इनकी पूजा करते है हमारा समाज कहता है की इनका पुतला दहन नहीं करना चाहिए इससे हम आहात हो रहे है हम इस बात को पुरे मध्यप्रदेश में फैलाएंगे।

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कर्नाटक में भी आदिवासी समाज के लोग रावण का पुतला दहन नहीं करने देते है बैतूल जिले में रावण के पुतले का दहन नहीं होना चाहिए अगर ये बंद नहीं होता है तो पुरे जिले के आदिवासी मिलकर रणनीति बनाएंगे यहां अगर बात नहीं बनती है तो प्रदेश स्तर पर ये बात उठाएंगे। रावण और मेघ नाथ दोनों हमारे देवता है रावण हमारे मरावी गोत्र के राजा थे. सर भी दस नहीं होते ये सब बातें बाहर से आये आर्य लोगांे ने फैलाई है। यदि हमारी बात नहीं मानी जाती है तो हम लोग रणनीति बनाएंगे और आंदोलन करेंगे।