वहीं सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि संपत्ति विवादित है लेकिन इस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में देर रात सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने दो पक्षों की ओर से यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था।
साथ ही मामले के पक्षों को विवाद निवारण के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया था। इसके बाद देर रात हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया। अंजुमन-ए-इस्लाम ने दावा किया था कि विचाराधीन संपत्ति को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत संरक्षित किया गया था, जो कहता है कि किसी भी धार्मिक पूजा स्थल को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने चामराजपेट, बेंगलुरु में ईदगाह मैदान के संबंध में यथास्थिति का आदेश दिया। जहां कर्नाटक सरकार ने 31 अगस्त से सीमित अवधि के लिए गणेशचतुर्थी समारोह आयोजित करने की अनुमति दी थी। कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने के लिए गणेश प्रतिमा को मैदान में स्थापित की गई।
उच्च न्यायालय ने विचाराधीन संपत्ति के मामले में कहा, यह धार्मिक पूजा स्थल नहीं था और केवल बकरीद और रमजान के दौरान नमाज के लिए अनुमति दी गई थी। अन्य समय के दौरान, इसका उपयोग बाजार और पार्किंग स्थल जैसे उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि बेंगलुरू के चामराजपेट मैदान में यथास्थिति बनाए रखने का उच्चतम न्यायालय का आदेश भी इस मामले पर लागू नहीं होता। कर्नाटक हाईकोर्ट ने हुबली-धारवाड़ ईदगाह मैदान में गणेशचतुर्थी अनुष्ठान की अनुमति देने वाले धारवाड़ अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर रात 10ः45 बजे आदेश सुनाया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हुबली-धारवाड़ के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देने के फैसले को बरकरार रखा।
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