डीमैट का अनिवार्य टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन- डीमैट खाताधारकों को 30 सितंबर तक अनिवार्य रूप से टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सेटअप कर लेना होगा। इसके लिए आप यूजर आईडी के अलावा पासवर्ड या पिन, पोजेशन फैक्टर, ओटीपी या सिक्योरिटी टोकन समेत अन्य ऑथेंटिकेशन विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं। एनएसई ने बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन के इस्तेमाल की भी सलाह दी है।
डेबिट/क्रेडिट कार्ड के लिए मास्टर डायरेक्शन- आरबीआई ने इसकी अंतिम तिथि को बढ़ाकर 1 अक्टूबर किया था। मास्टर डायरेक्शन में 3 नियम हैं। पहला कि अगर कार्ड जारी होने के 30 अंदर वह एक्टिवेट नहीं किया जाता तो बैंक कार्डधारक से संपर्क करे और वन टाइम पासवर्ड मांगे। कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर कार्ड एप्लीकेशन को बंद कर दे। दूसरा कि कार्ड जारी करने वाला यह सुनिश्चित करे कार्ड की लिमिट किसी हाल में एक्सीड न हो जब तक कि कार्डधारक उसकी अनुमति न दे। अनपेड चार्जेस, शुल्, टैक्स और ब्याज की कंपाउंडिंग का कैपिटलाइजेशन न हो।
एपीवाई से बाहर होंगे आयकरदाता- 1 अक्टूबर से किसी भी आयकरदाता को अटल पेंशन योजना से नहीं जोड़ा जाएगा। अब आयकरदाताओं के पास इससे जुड़ने के लिए केवल 3 दिन बचे हैं।
टोकनाइजेशन- पिछला कार्ड ऑन फाइल (सीओएफ) डेटा डिलीट किया जाएगा और ऑनलाइन लेनदेन के लिए कार्ड टोकनाइजेशन अनिवार्य हो जाएगा। कार्डधारक अगर ऐसा करने में असफरल होते हैं तो 1 अक्टूबर से उन्हें हर बार शॉपिंग के लिए कार्ड की सारी जानकारी बार-बार देनी होगी।
एनपीएस सब्सक्राइबर के लिए ई-नॉमिनेशन- पेंशन नियामक पीएफआरडीए के अनुसार, नेशनल पेमेंट सिस्टम के ई-नॉमिनेशन के लिए बदलाव किए गए हैं। मौजूदा एनपीएस सब्सक्राइबर्स पीआरएएन (PRAN) पर ई-नॉमिनेशन और लॉगिन डिटेल्स का इस्तेमाल कर नॉमिनेशन में बदलाव कर सकेंगे।1 अक्टूबर से बदलाव की इस अर्जी के अनुमति देने या खारिज करने के लिए नोडल कार्यालय को 30 दिन मिलेंगे। अगर इस दौरान उस पर कोई कदम नहीं उठाया जाता तो अर्जी सीआरए सिस्टम द्वारा स्वीकार कर ली जाएगी।
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