अपरा एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों का हो जाता हैं अंत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व | By observing the fast of Apara Ekadashi, all sins end, Know auspicious time, worship method and importance

अपरा एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों का हो जाता हैं अंत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

अपरा एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों का हो जाता हैं अंत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : June 5, 2021/8:43 am IST

धर्म। अपरा एकादशी का व्रत 6 जून रविवार के दिन मनाया जाएगा। हर साल इस व्रत को ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को करने से भक्त के सभी दुःख दूर होते हैं और उसके सभी पापों का अंत हो जाता है।

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मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शोडषोपचार विधि से पूजा-अनुष्ठान करने एवं व्रत रखने से व्यक्ति को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। कहीं इसे अचला एकादशी कहते हैं तो कहीं भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने अपरा एकादशी का व्रत रखा था। इस वजह से उन्हें महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी। ज्योतिषियों के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से ब्रह्म-हत्या, भूत-प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है, सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं, तथा जातक को जीवन में मान-सम्मान, धन, वैभव और अरोग्य हासिल होता है। ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को यानी 6 जून को अपरा एकादशी मनाया जाएगा।

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देखें शुभ मुहूर्त
एकादशी प्रारंभ: प्रातः 04.07 से (05 जून, शनिवार 2021)
एकादशी समाप्त: प्रातः 06.19 बजे तक (06 जून 2021)
एकादशी व्रत पारणः प्रात: 05:12 से प्रातः 07.59 बजे तक (07 जून 2021)

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इस मंत्र का करें जाप

अपरा एकादशी की प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें। इसके पश्चात घर के मंदिर में विष्णु जी की तस्वीर अथवा प्रतिमा के सामने धूप दीप प्रज्जवलित करें. इसके पश्चात विष्णु जी को गंगाजल से स्नान करवायें, और अक्षत, पुष्प, फल, रोली, तुलसी दल इत्यादि अर्पित करते हुए श्रीहरि के इस मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें। विष्णु जी की पूजा करते समय माता लक्ष्मी जी की भी विधिवत पूजन करनी चाहिए। एकादशी की रात को जागरण का प्रावधान है, अगर पूरी रात नहीं तो मध्य रात्रि तक जागरण कर भगवान विष्णु का कीर्तन-भजन करें। अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करने से पूर्व ब्राह्मण को अन्न एवं दक्षिणा अर्पित कर विदा करें।

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