Mahashivratri in Ujjain : बाबा महाकाल के मंदिर में शुरू हुई महाशिवरात्री की तैयारियां, भोलेनाथ देंगे नौ रूपों में दर्शन, सेहरा लूटने के लिए लगेगी भक्तों की भीड़..

Baba Mahakal Ka Vivah : शिव नवरात्रि का यह पर्व 28 फरवरी से शुरू होगा जो महाशिवरात्री यानी कि 8 मार्च के दिन खत्म होगा।

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  • Publish Date - February 16, 2024 / 03:52 PM IST,
    Updated On - February 16, 2024 / 03:52 PM IST

Baba Mahakal Ka Vivah : हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का बड़ा महत्व है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। धर्मशास्त्र के अनुसार जिस दिन अर्धरात्रि में चतुदर्शी हो, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। वहीं ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को भोलेनाथ दिव्य ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। बाबा महाकाल भी एक दिव्य ज्योर्तिलिंग है। जहां बड़े धूमधाम से महाशिवरात्री का पर्व मनाया जाता है।

 

Baba Mahakal Ka Vivah : शिव नवरात्रि का यह पर्व 28 फरवरी से शुरू होगा जो महाशिवरात्री यानी कि 8 मार्च के दिन खत्म होगा। बता दें कि 28 फरवरी से ही भगवान शिव के श्रृंगार का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। 9 अलग-अलग दिनों में महाकाल को देश और दुनिया से भक्तों द्वारा भेजे गए अलग-अलग वस्तुओं से महाकाल को सजाया जाएगा। उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए इस दिन लाखों भक्तों का जमावड़ा लगता है।

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बाबा महाकाल का नौं दिनों का श्रृंगार

पहले दिन महाकालेश्वर में महाकाल को वस्त्र धारण कराया जाएगा।
दूसरे दिन शेषनाथ का अर्पण होगा।
तीसरे दिन घटाटोप और चौथे दिन छबीना।
पांचवे दिन होल्कर।
छठे दिन मनमहेश।
सातवें दिन उमा महेश।
आठवें दिन शिव तांडव।
नौवें दिन निराकार।

बता दें कि 8 मार्च यानी कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव भक्तों को दूल्हे के रूप में दर्शन देंगे। इस दिन भगवान शिव को सप्तधान रूप में श्रृंगार कर फल और फूलों से बना सेहरा बांधा जाता है। जिसके बाद उन्हें सोने के आभूषण पहनाए जाएंगे और उसके बाद भस्म आरती होगी। साथ ही महाशिवरात्रि पर भस्म आरती से पहले महाकाल के सेहरा लूटने की परंपरा है। जिसके लिए यहां पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि महाकाल के सेहरा में जो भी फल और धान लगे रहते हैं। यदि इन चीजों को भक्त अपने घर पर रखते हैं तो धन वर्षा के साथ मां अन्नपूर्णा का भी आशीर्वाद बना रहता है।

भस्म आरती का शुभ दिन

महाकालेश्वर में साल में मात्र एक ही दिन भस्म आरती दिन में होती है। महाशिवरात्रि के अगले दिन महाकाल की शादी का कार्यक्रम किया जाता है। इसी दिन महाकाल का सेहरा लूटाया जाता है और फिर दोपहर के समय में भस्म आरती की जाती है। भक्तों को अगर इस भस्म आरती में शामिल होना है तो दोपहर 12 से 2 बजे के बीच में जा सकते हैं। भस्म आरती के दौरान महाकाल निराकार और साकार रूप धारण करते हैं।

 

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