Devshayani Ekadashi 2025: कब है देवशयनी एकादशी का व्रत? जानिए क्या है इसकी सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
Devshayani Ekadashi 2025: कब है देवशयनी एकादशी का व्रत? जानिए क्या है इसकी सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
Devshayani Ekadashi 2025 /Image Credit: Pexels
- 6 जुलाई को रखा जाएगा देवशयनी एकादशी का व्रत।
- इस समय भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।
- प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागतें हैं।
नई दिल्ली। Devshayani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में हर महीने एकादशी पड़ती है जिसका अपना अलग महत्व होता है। ऐसे ही आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह अवधि चातुर्मास कहलाती है, जिसका अर्थ है ‘चार मास’। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारम्भ हो जाता है इसलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के चार माह के बाद भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागतें हैं। इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं इस बार देवशयनी एकादशी कब मनाई जाएगी।
तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचाग के अनुसार, देवशयनी एकादशी 5 जुलाई को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 6 जुलाई को रात 09 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को मनाई जाएगी।
करें इस मंत्र का जाप
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥: यह मंत्र भगवान विष्णु से ज्ञान और बुद्धि की प्रार्थना करता है। इसके जाप से मानसिक स्पष्टता आती है, सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और जीवन में सही दिशा मिलती है।
विष्णु मूल मंत्र “ॐ नमो नारायणाय”: यह मंत्र भगवान नारायण को समर्पित है, जो भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप हैं। इस मंत्र का जाप करने से सभी भय दूर होते हैं, सुरक्षा मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
पूजा विधि
एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद, सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें। घर के मंदिर को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं। पुष्प, धूप, दीप आदि से आरती उतारें। इसके बाद दिन में एकादशी की कथा भी जरुर सुननी चाहिए। इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है। पीपल के पेड़ की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिए। रात्रि में जागरण करना भी अवश्य करना चाहिए। इस दिन दुर्व्यसनों से भी दूर रहना चाहिये और सात्विक जीवन जीना चाहिए।

Facebook



