(Govt Scheme, Image Credit: Pixabay)
Govt Scheme: भारत के लाखों दस्तकार और पारंपरिक कारीगर अपने हाथों के हुनर से न केवल अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं, बल्कि देश की सांस्कृतिक पहचान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाते हैं। ऐसे मेहनती लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की है। यह योजना 17 सितंबर 2023 को लागू की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कार्यों से जुड़े लोगों को सम्मान और सहयोग देना है।
इस योजना का लाभ व लोग उठा सकते हैं जो अपने पारंपरिक औजारों और हाथों से काम करते हैं और जिनका यह पेशा पीढ़ियों से चला आ रहा है। जिसमें दर्जी, सुनार, लोहार, कुम्हार, राजमिस्त्री, नाव निर्माता, जूता बनाने वाले, धोबी, नाई, झाड़ू व चटाई बनाने वाले, मूर्तिकार, खिलौना बनाने वाले और पत्थर तराशने जैसे हुनरमंद शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इन कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और वित्तीय मदद देकर आत्मनिर्भर बनाना।
इस योजना के तहत कारीगरों को दो चरणों में आसान ऋण की सुविधा प्रदान की जाएगी-
पहली किस्त में 1 लाख रुपये तक का लोन मिलेगा, जिसकी पुनर्भुगतान अवधि 18 महीने होगी।
दूसरी किस्त में 2 लाख रुपये तक का लोन मिलेगा, जिसे 30 महीने में चुकाना होगा।
इस लोन पर केवल 5% ब्याज दर रखी गई है, क्योंकि सरकार इसमें सब्सिडी दे रही है। यह पूरी प्रक्रिया बिना किसी गारंटी के होगी, क्योंकि लोन CGTMSE योजना के अंतर्गत सुरक्षित रहेगा।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों के काम को केवल रोजगार तक सीमित न रखते हुए, उसे सम्मान और नई पहचान देना है। जिससे जहां एक तरफ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, वहीं दूसरी तरफ भारत की पारंपरिक कारीगरी को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। यह योजना ‘वोकल फॉर लोकल’ के विजन को भी मजबूती प्रदान करेगी।