हमेशा लगता था कि 23 साल पहले यहां कुछ छूट गया है : पंडित

हमेशा लगता था कि 23 साल पहले यहां कुछ छूट गया है : पंडित

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  • Publish Date - June 26, 2022 / 07:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

(कुशान सरकार)

 बेंगलुरू, 26 जून (भाषा) मध्य प्रदेश के मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित दो दशक से अधिक समय से दर्दनाक हार का बोझ उठाये हुए थे और रविवार को टीम के रणजी ट्राफी खिताब जीतने के बाद उनकी नम आंखों से मुंबई के ड्रेसिंग रूम की ओर सम्मान के तौर पर हाथ जोड़ने की प्रतिक्रिया को बखूबी समझा जा सकता है।

रजत पाटीदार के मध्य प्रदेश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण एक रन लेने के बाद मुख्य कोच पंडित के लिये एक चक्र पूरा हुआ जो 23 साल पहले बतौर खिलाड़ी राज्य की टीम को पहला रणजी ट्राफी खिताब जीतने की विफलता के बाद हुआ।

रणजी ट्राफी जीतने के बाद थके हुए दिख रहे पंडित ने कहा, ‘‘हर ट्राफी संतुष्टि देती है लेकिन यह विशेष है। मैं 23 साल पहले मध्य प्रदेश के कप्तान के रूप में इसे नहीं दे सका था। इतने वर्षों तक मुझे हमेशा महसूस हुआ कि यहां मेरा कुछ छूट गया है। इसलिये ही मैं इसके बारे में थोड़ा ज्यादा उत्साहित और भावुक हूं। ’’

खिलाड़ी के तौर पर पंडित काफी दिल तोड़ने वाली हार देख चुके हैं जिसमें उनकी सर्वश्रेष्ठ 39 रन की पारी चेपक में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टाई हुए टेस्ट में बनना शामिल है। फिर 1987 में वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल में वह 24 रन पर थे लेकिन भारत मैच हार गया था। कपिल देव की अगुआई वाली हरियाणा के खिलाफ रणजी ट्राफी फाइनल में उन्हें महज एक रन से हार मिली थी।

लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा आहत 1999 में मध्य प्रदेश के रणजी फाइनल ने किया जिसमें कर्नाटक से हार के बाद वह बेसुध होकर रो रहे थे। यह उनका अंतिम पेशेवर मैच था और वह इसमें हार गये थे।

लेकिन बतौर कोच उन्होंने पूरी तरह से उलट प्रदर्शन किया है जिसमें अभूतपूर्व छह रणजी ट्राफी खिताब शामिल हैं।

पंडित और आदित्य श्रीवास्तव के बीच एक ‘विशेष रिश्ता’ है जो पेशेवर कोच और कप्तान के रिश्ते से बढ़कर है।

पंडित ने कहा, ‘‘शीर्ष पर पहुंचने के लिये बलिदान करने पड़ते हैं। पिछले साल जब आदित्य शादी कर रहा था तो वह मेरे पास आया था और उसने पूछा कि कौन सा समय सही होगा तो मैंने उसे कहा कि मैं उसे सिर्फ दो दिन का ही समय दे सकता हूं। ’’

युवा कप्तान ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘मेरी पिछले साल शादी हुई लेकिन मैं पत्नी के साथ 10 दिन की छुट्टियों तक पर नहीं गया हूं। ’’

कोच ने तुरंत कहा, ‘‘मैंने उसे कहा कि सफलता के लिये तुम्हें घंटो तक कड़ी मेहनत करनी होगी। यह एक मिशन की तरह होता है। ’’

पंडित ने चिन्नास्वामी स्टेडियम के मैदानकर्मियों के पास जाकर उनके साथ पूरी टीम की फोटो खिंचावाई।

उन्होंने मैदानकर्मियों से कहा, ‘‘आप लोगों ने शानदार विकेट बनाया और यह विशेष है क्योंकि यह इस स्टेडियम का 100वां प्रथम श्रेणी मैच है। ’’

उनके कप्तान ने एक क्यूरेटर को 500 रूपये का नोट भी थमाया।

पंडित बतौर कोच छह रणजी ट्राफी जीत चुके हैं जिसमें से तीन उनकी घरेलू टीम मुंबई के साथ, दो विदर्भ के साथ और अब मध्य प्रदेश के साथ हैं। इसमें से मध्य प्रदेश के साथ ट्राफी जीतना विशेष है क्योंकि उनका प्रथम श्रेणी का अंतिम सत्र उनके साथ ही था।

 भाषा नमिता आनन्द

आनन्द