नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) अमिताभ सत्यम और संगीता गोस्वामी की नयी किताब ‘द गेम्स इंडिया प्लेज: इंडियन स्पोर्ट्स सिंपलिफाइड’ में देशज और पारंपरिक खेलों का जिक्र है जो शहरीकरण के कारण लुप्त होते जा रहे है।
इस किताब में 15 ऐसे भारतीय खेलों की जानकारी दी गयी है जो मनोरंजक होने के साथ शारीरिक और बौद्धिक रूप से बेहतरीन है लेकिन इन्हे न्यूनतम उपकरणों के साथ कही भी खेला जा सकता है।
‘ब्लूम्सबरी इंडिया’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक में जिन 15 खेलों का उल्लेख किया गया है जिसमें कबड्डी, खो-खो, गिल्ली डंडा, लागोरी, नोंडी, नालुगु रल्लू आटा, यूबी लकपी, नदी पर्वत, चील झपटा, जोड़ी साकली, विष अमृत, लंगड़ी, गेला चुट्ट, अत्या-पत्या और पाचा कुथिराई शामिल हैं।
लेखकों का कहना है कि इन खेलों का चयन व्यापक शोध के बाद किया गया है।
इन में से ज्यादातर खेलों की विशेषताएं यह है कि ये कि इनके नियमों को खिलाड़ियों की संख्या और मैदान के आकार के अनुसार बदला जा सकता है। ये खेल खिलाड़ियों को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते हैं।
किताब में यह भी बताया गया है कि इन खेलों को बिना या न्यूनतम उपकरण के और बिना किसी योजना के खेला जा सकता है।
सत्यम और गोस्वामी को हालांकि इस बात का अफसोस है कि शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण ये खेल लुप्त होते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ अमीर शहरी भारतीय सिर्फ पश्चिम का अनुसरण करते हैं। खेल का अर्थ है ओलंपिक में पश्चिम में खेले जाने वाले खेल। इस तरह गरीब शहरी भारतीय वही करना चाहते हैं जो शहरी अमीर करते हैं। और फिर छोटे शहरों के लोग बड़े शहरों में रहने वालों का अनुसरण करते हैं। गावों के लोग भी शहरों का अनुसरण कर रहे हैं। समय के साथ उनके अंदर यह भावना विकसित हुई है कि उनका जीवन, संस्कृति और जीवन-स्तर शहर के लोगों जैसा नहीं है। ’’
किताब के लेखकों ने इन खेलों का बचाये रखने के लिए स्कूलों में इन्हें खेलने का सुझाव दिया है।
भाषा आनन्द पंत
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