भाला फेंकने के कोण में सुधार कर और बेहतर थ्रो कर सकता हूं: नीरज चोपड़ा

भाला फेंकने के कोण में सुधार कर और बेहतर थ्रो कर सकता हूं: नीरज चोपड़ा

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  • Publish Date - August 10, 2024 / 10:22 PM IST,
    Updated On - August 10, 2024 / 10:22 PM IST

(फोटो के साथ)

पेरिस, 10 अगस्त (भाषा) लगातार दूसरे ओलंपिक स्वर्ण पदक से चूकने के बाद मजबूत वापसी का वादा करते हुए भारत के सुपरस्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने कहा कि वह अपने थ्रोइंग एंगल (भाला फेंकने के कोण) और रन-अप में सुधार के साथ बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे।

मौजूदा चैंपियन के रूप में पेरिस ओलंपिक भाग लेने वाले नीरज ने पेरिस में अपना अभियान रजत पदक के साथ समाप्त किया। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर के खेलों के रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता।

ओलंपिक से पहले कई तरह की चोटों का सामना करने वाले नीरज ने कहा, ‘‘मैं अपनी ताकत से खुश हूं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर मेरा थ्रोइंग एंगल बेहतर हो जाए तो मैं और बेहतर थ्रो कर सकता हूं। मैंने अभी अपना वीडियो नहीं देखा है। मुझे लगा कि थ्रो के बाद ऊंचाई कुछ कम पड़ रही थीं मुझे अपने रन-अप पर काम करने की जरूरत है और अगर मैं स्वस्थ रहा तो बेहतर थ्रो कर सकूंगा।’’

उन्हें उम्मीद है कि भारत को 2036 ओलंपिक की मेजबानी का अधिकार मिल जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह हमारी भारतीय टीम के लिए एक अच्छा ओलंपिक था। कई खिलाड़ी चौथे स्थान पर थे और उन्होंने वास्तव में अच्छा मुकाबला किया। ओलंपिक 2036 की मेजबानी का अधिकार अगर भारत को मिला तो यह बहुत अच्छा होगा।’’

नीरज का मानना है कि क्रिकेट के दीवाने भारत में लोग धीरे-धीरे ओलंपिक खेलों को पसंद कर रहे हैं और यह संकेत है कि चीजें बदल रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छा है कि लोग अब हमारे खेल को देख रहे हैं। वे हमारे खेल को लाइव देखते हैं, वे इन खेलों को देखने के लिए जल्दी उठ रहे हैं और देर से सो रहे हैं। यह एक संकेत है कि भारत में खेल का परिदृश्य बदल रहा है। माता-पिता अगर अपने बच्चों को स्टेडियम जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, तो चीजें और भी बदलेंगी।’’

नदीम के पेरिस में स्वर्ण पदक जीतने के बाद नीरज की मां सरोज देवी ने टिप्पणी की कि पाकिस्तान का यह खिलाड़ी भी ‘हमारे बच्चे की तरह ही है’।

इस बारे में पूछे जाने पर नीरज ने कहा, ‘‘मेरी मां एक गांव से ताल्लुक रखती हैं। वहां ज्यादा मोबाइल या मीडिया नहीं है, इसलिए वहां के लोग जो भी कहते हैं, दिल से कहते हैं। मेरी मां भीसभी भारतीयों की तरह मेरे लिए प्रार्थना कर रही थीं। उन्हें दिल से जो भी महसूस हुआ उन्होंने वह कहा।’’

 उन्होंने कहा, ‘‘खेल हमेशा दोनों देशों को एक साथ लाते हैं। सीमा का मुद्दा एक अलग मामला है। हम खेल के माध्यम से एकजुट होने की कोशिश करते हैं। हम शांति से रहने के बारे में भी सोचते हैं, लेकिन यह हमारे हाथ में नहीं है।’’

भाषा आनन्द आनन्द नमिता

नमिता