चेन्नई, 17 जून (भाषा) दिल्ली के दो बार के पूर्व राज्य शतरंज चैंपियन करुण दुग्गल ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने 2010 में उनकी ईएलओ रेटिंग को खत्म करने और उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रीय महासंघ से मुआवजे की मांग की है।
दुग्गल ने एआईसीएफ को कानूनी नोटिस भेजा है जिसमें 2010 में उनकी ईएलओ रेटिंग को खत्म करने और उन्हें किसी भी राज्य और राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेने से प्रतिबंधित करने के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है। उन पर संदेह था कि वे एआईसीएफ के तत्कालीन प्रतिद्वंद्वी भारतीय शतरंज संघ के साथ जुड़े हुए थे।
इसी को याद करते हुए दुग्गल ने ब्रिटिश ग्रैंडमास्टर नाइजेल शॉर्ट और भारतीय ग्रैंडमास्टर अभिजीत कुंटे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में एक ट्रायल के दौरान उनकी रेटिंग बहाल करने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया।
दुग्गल ने पीटीआई को बताया, ‘‘2010 में एआईसीएफ ने मेरी रेटिंग हटा दी जबकि मैंने उस तारीख तक एआईसीएफ द्वारा ‘अनधिकृत’ करार दिए गए किसी भी टूर्नामेंट में नहीं खेला था और उन्होंने मुझे एआईसीएफ के तहत किसी भी टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति नहीं दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद मैं तीन अन्य शतरंज खिलाड़ियों के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय गया और मैंने और गुरप्रीत पाल सिंह ने 2018 में (एआईसीएफ द्वारा) हमारी रेटिंग बहाल होने से पहले बहुत संघर्ष किया, ब्रिटिश ग्रैंडमास्टर नाइजेल शॉर्ट को हस्तक्षेप के लिए धन्यवाद।’’
दुग्गल ने कहा, ‘‘मुझे और गुरप्रीत को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया और हमने एक रुख अपनाया और वापस लड़े। एआईसीएफ ने रेलवे को पत्र भेजा जहां गुरप्रीत कार्यरत है, जिससे कि उसे विभागीय टूर्नामेंट में भी खेलने से रोका जाए और उसके खिलाफ कार्रवाई करने की जाए।’’
दुग्गल ने बताया कि लगभग 150 खिलाड़ियों की रेटिंग हटाने के अलावा सीएआई टूर्नामेंट में भाग लेने वाले लगभग 2,500 खिलाड़ियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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