जोश बनाये रखकर और एक ईकाई के रूप में खेलकर विश्व कप जीत सकता है भारत: विश्व कप चैंपियन फिलिप्स

जोश बनाये रखकर और एक ईकाई के रूप में खेलकर विश्व कप जीत सकता है भारत: विश्व कप चैंपियन फिलिप्स

जोश बनाये रखकर और एक ईकाई के रूप में खेलकर विश्व कप जीत सकता है भारत: विश्व कप चैंपियन फिलिप्स
Modified Date: December 16, 2025 / 11:28 am IST
Published Date: December 16, 2025 11:28 am IST

(मोना पार्थसारथी)

चेन्नई, 16 दिसंबर (भाषा) विश्व कप विजेता दिग्गज हॉकी खिलाड़ी विक्टर फिलिप्स को यकीन है कि जोश बनाये रखकर और व्यक्तिगत खेल की बजाय एक ईकाई के रूप में खेलने पर मौजूदा भारतीय हॉकी टीम विश्व कप खिताब का 50 साल का इंतजार खत्म कर सकती है ।

आठ बार की ओलंपिक चैम्पियन भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने एकमात्र विश्व कप 1975 में कुआलालम्पुर में जीता है । अजितपाल सिंह की कप्तानी वाली उस भारतीय टीम के अहम सदस्य रहे राइट विंगर फिलिप्स को आज भी याद है कि कैसे हर खिलाड़ी सिर्फ जीत का जुनून लेकर खेला था ।

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अपनी रफ्तार और ड्रिबलिंग से विरोधी डिफेंस के लिये आतंक का पर्याय रहे 75 वर्ष के फिलिप्स ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ 1975 की टीम अलग ही थी जिसमे अजितपाल सिंह कप्तान थे । सोलह खिलाड़ियों में हिंदू, सिख, मुस्लिम , ईसाई सभी थे और एकजुट होकर एक परिवार की तरह देश के लिये एक ईकाई के रूप में खेले । एक ही लक्ष्य था कि देश के लिये खिताब जीतना है।’’

उन्होंने कहा,‘‘ गुरचरण सिंह बोधी उस टीम के कोच थे और बलबीर सिंह सीनियर जैसे तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम मैनेजर थे । उनके पदचिन्हो पर चलकर ही हम उस मुकाम तक पहुंचे थे । अर्जेंटीना से एक गोल से हारने के बावजूद जोश में कोई कमी नहीं आई और हम फाइनल जीतकर ही माने ।’’

भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को 2 . 1 से हराया था जिसमें सुरजीत सिंह रंधावा और अशोक कुमार ने गोल दागे थे ।

फाइनल के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘हमे जीत से कम पर संतोष नहीं था । मैदान के बाहर भले ही पाकिस्तानी खिलाड़ियों से दोस्ती रही लेकिन मैदान पर हम उन्हें छोड़ते नहीं थे ।’’

म्युनिख ओलंपिक 1972 के कांस्य पदक विजेता फिलिप्स ने कहा ,‘‘ उस समय पूरा देश हमारे लिये प्रार्थना कर रहा था और हम देशवासियों के लिये जीतना चाहते थे । विश्व कप के मैच देखकर आप हैरान हो जायेंगे कि किस कदर जोश और जुनून से हम खेले थे । हम देश के दूत की तरह थे और हिन्दुस्तान का झंडा बुलंद करने के लिये सब कुछ मैदान पर झोंक दिया ।’’

भारतीय टीम को अगले साल अगस्त में नीदरलैंड और बेल्जियम में होने वाले विश्व कप के लिये क्या सलाह देना चाहेंगे, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत खेल की बजाय एक ईकाई के रूप में खेलना जरूरी है ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरी सलाह यही है कि व्यक्तिगत खेल की बजाय एक टीम के रूप में खेलें और जोश में कमी नहीं आने दें। आजकल देखता हूं कि खिलाड़ी मैदान पर आपस में बात नहीं करते लेकिन यह बहुत जरूरी है । हमारे जमाने में एक बार गेंद हाथ से निकलने पर हम जमकर गालियां देते थे ।’’

उन्होंने यह भी कहा कि विश्व कप जाने वाली टीम को 1975 के मैचों के फुटेज देखने चाहिये ताकि प्रेरणा ले सकें ।

उन्होंने कहा ,‘‘ जब पुरस्कार वितरण समारोह के समय हमारा तिरंगा सबसे ऊपर लहराया तो हमारे रोंगटे खड़े हो गए थे । वह फुटेज विश्व कप जाने वाले हर खिलाड़ी को दिखाना चाहिये कि हम कैसे खेले और जीते थे । हर खिलाड़ी के दिमाग में बस जीत का जुनून होना चाहिये तो कुछ भी असंभव नहीं है।’’

फिलिप्स ने कहा ,‘‘ एक ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी होने के नाते मैं इतनी ही अपील करूंगा कि देश के लिये मैदान पर सब कुछ देने को तैयार रहो, तभी पदक मिलेंगे ।’’

उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट आने के समय नहीं बल्कि बहुत पहले से ही रणनीति बनाना जरूरी है ताकि गलतियों में सुधार हो सके ।

विश्व कप 1978 में भारत के कप्तान रहे इस दिग्गज ने कहा ,‘‘यह समझना होगा कि अगले विश्व कप या अगले ओलंपिक में क्या करना है । अभी से रणनीति नहीं बनाई तो कुछ हासिल नहीं होने वाला है । यह बहुत महत्वपूर्ण समय है जिसमें आपको समझना होगा कि टूर्नामेंट में क्या गलतियां हो रही हैं और उन्हें अभ्यास के समय सुधारना है ।’’

भारतीय हॉकी के सौ साल के सफर को सुनहरा बताते हुए उन्होंने कहा ,‘‘ मैं 1970 से 1986 तक खेला हूं और यह सफर बहुत अच्छा रहा । इसमें हमने हिन्दुस्तान के लिये बहुत कुछ किया है ।हमसे पहले भी कई दिग्गज खिलाड़ी हुए ।’’

फिलिप्स ने कहा ,‘‘ हमे आने वाले समय में विश्व कप , ओलंपिक जीतना चाहिये ताकि अगली शताब्दी भी गौरवशाली हो ।’’

भाषा मोना सुधीर

सुधीर


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