भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेटरों को बदलाव का इंतजार |

भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेटरों को बदलाव का इंतजार

भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेटरों को बदलाव का इंतजार

:   Modified Date:  December 4, 2022 / 01:25 PM IST, Published Date : December 4, 2022/1:25 pm IST

(कुशान सरकार)

नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) भारत के तत्कालीन कप्तान विराट कोहली ने अपनी आंख पर रुमाल बांधा और कुछ गेंदों को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन वह बुरी तरह विफल रहे।

कोहली ने कुछ मिनट बाद अपनी आंखों से रुमाल हटा लिया और अपने साथी भारतीय कप्तान से कहा, ‘‘यह शानदार है। मैं ऐसा नहीं कर सकता, आप लोग जो करते हैं वह अकल्पनीय है।’’

यह घटना 2017 की है और भारत की दृष्टिबाधित टीम के कप्तान अजय रेड्डी को यह घटना और कोहली से बातचीत अच्छी तरह याद है।

अजय को बचपन से कोई समस्या नहीं थी लेकन चार बरस की उम्र में जब उन्होंने एक दिन अपनी मां को अपने समीप नहीं पाया तो वह उसे खोजने के लिए दरवाजे की तरफ दौड़े। लोहे के दरवाजे का हुक अजय की आंख में लग गया और उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।

अजय को धीरे-धीरे धुंधला दिखने लगा और छठी कक्षा के बाद वह सामान्य स्कूल की जगह दृष्टिबाधितों के स्कूल में जाने लगे। इसके बाद क्रिकेट के लिए प्यार ने उनके जीवन को नया मतलब और दिशा दी।

अजय ने अपना गहरे रंग का चश्मा हटाते हुए पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे एक आंख से बिलकुल भी नजर नहीं आता और दूसरी आंख से भी मुझे 75 प्रतिशत नहीं दिखता। हालत और खराब होती जा रही है।’’

दृष्टिबाधितों के क्रिकेट में गेंदबाज अंडर आर्म (हाथ घुमाए बिना नीचे से गेंद फेंकना) गेंद फेंकता है जो सफेद प्लास्टिक से बनी होती है और इसके अंदर कार्बन की काफी सारी छोटी-छोटी गेंद होती हैं जो आपस में टकराने पर आवाज करती हैं।

पूरी तरह से दृष्टिहीन बल्लेबाज को गेंदबाजी करते हुए गेंदबाज को अंडर आर्म गेंद के साथ दो टप्पे मारने होते हैं जिससे कि बल्लेबाज को आवाज सुनने के दो मौके मिलें।

आंशिक दृष्टिबाधित बल्लेबाज को एक टप्पे के साथ गेंद फेंकी जा सकती है क्योंकि वह गेंद को थोड़ा बहुत देख सकता है। गेंदबाज को हालांकि हर गेंद फेंकने से पहले जोर से ‘प्ले’ बोलना होता है जिससे कि बल्लेबाज को पता चल सके कि गेंद फेंकी जा रही है।

‘दृष्टबाधित क्रिकेट’ में अजय के नाम विश्व रिकॉर्ड है, उन्होंने 2012 में भारत में हुए एकदिवसीय विश्व कप में 33 गेंद में 100 रन की पारी खेली थी।

टीम का कप्तान होने के नाते अजय भावी पीढ़ी को इस खेल से जुड़ने का कारण देना चाहते हैं।

दृष्टिबाधितों के टी20 विश्व कप की तैयारी कर रहे अजय ने कहा, ‘‘मैं क्रिकेट खेलता हूं क्योंकि यह मेरा जुनून है। मैं तीन हजार रुपये की मैच फीस के लिए ऐसा नहीं करता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दृष्टिबाधित क्रिकेटरों के लिए क्रिकेट अब भी करियर के रूप में विकल्प नहीं है। मैं भगवान का आभारी हूं कि मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और मुझे भारतीय स्टेट बैंक में नौकरी मिल गई। मेरा परिवार है। सभी इतने भाग्यशाली नहीं होते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेट संघ के प्रमुख महंतेश जीके नहीं होते तो हम वहां नहीं होते जहां आज हैं।’’

महंतेश को बचपन से ही क्रिकेट पसंद था और उन्होंने रेडियो पर जॉन आरलोट, सुरेश सरइया और रवि चतुर्वेदी जैसे लोगों को कमेंट्री करते हुए सुनकर खेल को सीखा। उन्होंने भले ही अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी हो लेकिन खेल को लेकर उनका ‘विजन’ कभी खत्म नहीं हुआ।

भारत की दृष्टिबाधित टीम को सात दिसंबर को सिरी फोर्ट ग्राउंड में पाकिस्तान (अगर वीजा मिला तो) से भिड़ना है और इस मैच के बारे में पूछने पर अजय ने कहा, ‘‘हमने पहले भी उन्हें हराया है और फिर दोबारा हराएंगे। हम तैयार हैं।’’

अगर भारत यह विश्व कप जीत जाता है तो कप्तान एक बदलाव क्या देखना चाहेंगे, अजय ने कहा, ‘‘हमारे साथ खिलाड़ियों की तरह व्यवहार करो, दृष्टिबाधितों की तरह नहीं। यह पहला कदम होना चाहिए।’’

भाषा सुधीर

सुधीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)