झझारिया का निर्विरोध पीसीआई अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय

झझारिया का निर्विरोध पीसीआई अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय

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  • Publish Date - February 29, 2024 / 08:54 PM IST,
    Updated On - February 29, 2024 / 08:54 PM IST

नयी दिल्ली, 29 फरवरी (भाषा) दो बार के पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झझारिया का नौ मार्च को विलंब से होने वाले चुनावों में भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय है। वह एक अन्य जानी मानी पैरा खिलाड़ी दीपा मलिक की जगह लेंगे।

एथेंस 2004 और रियो 2016 पैरालंपिक की एफ46 भाला फेंक स्पर्धा में पदक जीतने वाले 42 वर्षीय झझारिया एकमात्र उम्मीदवार हैं जिन्होंने गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे तक की समय सीमा तक पीसीआई प्रमुख पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया।

निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने विभिन्न पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की सूची जारी की और झझारिया अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार हैं।

सिन्हा शुक्रवार को नामांकन पत्रों की समीक्षा करेंगे और अगर दस्तावेज उचित पाए जाते हैं तो झझारिया को अध्यक्ष पद पर चुन लिया जाएगा।

सभी प्रमुख पदों के लिए कोई मुकाबला नहीं होगा। केवल कार्यकारी समिति के सदस्यों के पांच पदों के लिए मतदान हो सकता है जिसके लिए आठ उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

पीसीआई चुनाव अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव और कार्यकारी समिति के पांच सदस्यों के पद के लिए होंगे।

खेल मंत्रालय ने पीसीआई को निलंबित रखा है लेकिन वैश्विक संचालन संस्था अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (आईपीसी) उसे मान्यता देती है।

मंत्रालय ने चुनावों में देरी के लिए भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के तहत पीसीआई को निलंबित कर दिया था।

राजस्थान के रहने वाले झझारिया ने 2021 में तोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक भी जीता था। उन्होंने 2013 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2015 में रजत (दोनों एफ46 श्रेणी) और साथ ही 2014 में एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक जीता।

वह पैरा खिलाड़ियों में एकमात्र पद्म भूषण पुरस्कार विजेता (2022) हैं। इसके अलावा वह भारत के एकमात्र दोहरे पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्हें 2017 में खेल रत्न से सम्मानित किया गया और इससे पहले उन्हें अर्जुन पुरस्कार (2004) और पद्म श्री (2012) से भी सम्मानित किया गया था।

निवर्तमान अध्यक्ष दीपा मलिक शीर्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की पात्र थीं लेकिन उन्होंने झझारिया के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और इसके बजाय उनका समर्थन कर रही हैं।

दीपा ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं झझारिया का समर्थन कर रही हूं। वह मेरे उम्मीदवार भी हैं। मैं पीसीआई प्रमुख बनने वाली पहला पैरा खिलाड़ी थी और अब एक और खिलाड़ी ऐसा करने जा रहा है। झझारिया मेरी तरह ही पैरालंपिक पदक विजेता है और मुझे लगता है कि भारत में पैरा खेल सुरक्षित हाथों में हैं।’’

झझारिया जब नौ मार्च को पीसीआई अध्यक्ष बनेंगे तो सक्षम और पैरा खिलाड़ियों की शीर्ष राष्ट्रीय संस्थाओं दोनों के प्रमुख पूर्व खिलाड़ी होंगे। महान धाविका पीटी उषा वर्तमान में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष हैं।

गोवा के अंतरराष्ट्रीय कोच और रेफरी जयवंत हम्मनवार महासचिव पद के लिए अकेले उम्मीदवार हैं। उन्होंने गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल किया।

आर चंद्रशेखर और सत्य प्रकाश सांगवान का दो उपाध्यक्षों के रूप में निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है जबकि सुनील प्रधान कोषाध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार हैं। ललित ठाकुर और टी दिवाकर दो संयुक्त सचिव होंगे।

कार्यकारी समिति के पांच सदस्यों के लिए जो आठ उम्मीदवार मैदान में हैं उनमें सुतापा चक्रवर्ती, भाटी चंदूलाल ताराचंदजी, संदीप कुमार, उषा मानकी, अमरीक सिंह, चंदन रॉय चौधरी, शमिंदर सिंह ढिल्लों और सिंगारापु बाबू शामिल हैं।

निवर्तमान पीसीआई महासचिव गुरशरण सिंह ने कहा कि उन्होंने नौ मार्च के चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया क्योंकि वह अदालत के नवीनतम आदेश के अनुसार चुनाव लड़ने के पात्र नहीं थे।

गुरशरण ने कहा, ‘‘नहीं, मैंने (नौ मार्च के चुनावों के लिए) नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया है। हालांकि मैं (खेल संहिता के) दिशानिर्देशों के अनुसार पात्र हूं, लेकिन अदालत के नवीनतम आदेशों के अनुसार मैं चुनाव लड़ने का पात्र नहीं हूं।’’

पीसीआई चुनाव छह से 15 मार्च तक कर्णी सिंह रेंज में पैरा निशानेबाजी विश्व कप के दौरान होंगे। इस प्रतियोगिता में पैरालंपिक कोटा स्थान दांव पर लगे होंगे।

पंद्रह फरवरी को निलंबित पीसीआई ने घोषणा की थी कि वह मार्च को अपने चुनाव करवाएगी।

खेल मंत्रालय ने समय पर चुनाव नहीं कराने के कारण चार फरवरी को पीसीआई को निलंबित कर दिया था। पीसीआई कार्यकारी समिति का चार साल का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो गया था।

मंत्रालय ने पीसीआई के दैनिक कामकाज को चलाने के लिए एक तदर्थ पैनल बनाने की भी वकालत की थी लेकिन खेल की विश्व संचालन संस्था आईपीसी ने इसकी अनुमति नहीं दी।

भाषा सुधीर नमिता

नमिता