चोट से परेशान पैरालंपिक स्वर्ण विजेता प्रवीण को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा

चोट से परेशान पैरालंपिक स्वर्ण विजेता प्रवीण को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा

चोट से परेशान पैरालंपिक स्वर्ण विजेता प्रवीण को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा
Modified Date: October 4, 2025 / 09:44 pm IST
Published Date: October 4, 2025 9:44 pm IST

नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) प्रवीण कुमार के चेहरे पर ऊंची कूद में कांस्य पदक जीतने के बावजूद उदासी साफ झलक रही थी जबकि एकता भयाना शनिवार को विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में क्लब थ्रो स्पर्धा में अपना खिताब बरकरार रखने में नाकाम रहने के बाद रजत पदक जीत कर खुश दिखी।

भारत ने शनिवार को एक रजत और दो कांस्य पदक जीते जिससे उसके पदकों की संख्या 18 (6-7-5) हो गई। यह विश्व चैंपियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है जबकि एक दिन का खेल अभी बाकी है। भारत का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2024 कोबे (जापान) में था जहां टीम ने 17 पदक (6-5-6) जीते थे। ब्राज़ील 37 पदकों (12-18-7) के साथ तालिका में शीर्ष पर बना रहा।

भारत को आज तीसरा पदक पुरुषों की शॉटपुट एफ57 श्रेणी में मिला जब सेना के 42 वर्षीय सोमन राणा ने 14.69 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ कांस्य पदक जीता। हांगझोऊ एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता का सर्वश्रेष्ठ थ्रो चौथे प्रयास में आया।

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पेरिस पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता प्रवीण पुरुषों की टी64 ऊंची कूद में शीर्ष स्थान के प्रबल दावेदार थे। उन्होंने दो मीटर के साथ सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन शीर्ष स्थान के लिए पर्याप्त नहीं था।

उज्बेकिस्तान के 2018 एशियाई पैरा खेलों के स्वर्ण पदक विजेता तेमुरबेक गियाजोव ने 2.03 मीटर के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। ब्रिटेन के जोनाथन ब्रूम-एडवर्ड्स ने दो मीटर के साथ रजत पदक जीता। जोनाथन ने अपने पहले प्रयास में ही सफल छलांग लगाई जबकि भारतीय खिलाड़ी ने अपने दूसरे प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की।

प्रवीण चोट से परेशान दिख रहे थे। उन्होंने अपना रन-अप छोटा कर लिया था और हर प्रयास के बाद दर्द में दिख रहे थे। उन्होंने 1:97 मीटर की ऊंचाई आसानी से पार कर ली, लेकिन दो मीटर के पहले प्रयास में असफल रहे और दूसरे प्रयास में उसे पार कर गए। इसके बाद 2.03 मीटर के उनके तीनों प्रयास विफल रहे।

इस 22 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं पिछले 10-12 दिनों से कूल्हे की चोट से जूझ रहा हूं इसलिए मैंने अपना रन-अप छोटा कर दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने प्रदर्शन से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं। मैं प्रशिक्षण के दौरान 2.07 मीटर की छलांग लगाने की कोशिश कर रहा था और मेरे कूल्हे में खिंचाव आ गया। हर बार जब मैं टेक ऑफ करने की कोशिश करता था तो मुझे परेशानी होती थी। यहां खड़े होने पर भी मुझे पैर में दर्द महसूस हो रहा है। ’’

प्रतियोगिता में शामिल अन्य भारतीय 22 वर्षीय बंटी 1.87 मीटर की व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ छलांग के साथ छठे स्थान पर रहे।

एकता भयान ने छठे और अंतिम प्रयास में 19.80 मीटर के अपने सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 2024 विश्व क्लब थ्रोअर एफ51 स्वर्ण पदक का बचाव करने में विफल रही।

यूक्रेन की ज़ोइया ओवसी ने अपने पांचवें प्रयास में 24.03 मीटर की बड़े थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि तटस्थ पैरा एथलीट एकातेरिना पोटापोवा (18.60 मीटर) ने कांस्य पदक जीता।

एकता ने कहा, ‘‘ मैं बहुत खुश हूं, यह मेरा तीसरा विश्व पदक है और मुझे खुशी है कि मैं अपना प्रदर्शन दोहरा सकी। अब 2028 लॉस एंजिल्स पैरालिंपिक का इंतजार है।’’

सेना के जवान सोमन राणा ने 2006 में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में अपना दाहिना पैर गवां दिया था। उन्होंने पुरुषों की शॉटपुट एफ57 श्रेणी में 14.69 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक हासिल कर अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का सबसे बड़ा पदक जीता।

भारत के दो अन्य खिलाड़ी होकाटो होटोझे सेमा (14.35 मीटर) और शुभम जुयाल (13.72 मीटर) इस स्पर्धा में क्रमशः छठे और सातवें स्थान पर रहे, जिसमें पैरों की लंबाई में अंतर या अंगों की कमी वाले व्यक्ति होते हैं।

तैंतीस साल के यासीन खोसरावी ने 16.60 मीटर के विश्व रिकॉर्ड थ्रो के साथ विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप खिताब की हैट्रिक के साथ इस स्पर्धा में अपना दबदबा बनाए रखा। खोसरावी के सभी थ्रो 15 मीटर से ऊपर थे।

भाषा आनन्द नमिता

नमिता


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