नयी दिल्ली, 14 अगस्त ( भाषा ) ‘‘बचपन से हम सचिन तेंदुलकर का नाम ही सुनते आये हैं और मैदान में सचिन सचिन का शोर सुना है , जब ओलंपिक में आखिरी चार मैचों में मुझे श्रीजेश श्रीजेश सुनाई दिया तो मुझे उनकी क्रिकेट से विदाई याद आ गई ’’, यह कहना है भारतीय हॉकी के महान गोलकीपर पी आर श्रीजेश का ।
तोक्यो के बाद पेरिस ओलंपिक में भी कांस्य पदक जीतकर श्रीजेश ने हॉकी को अलविदा कह दिया । उनकी विदाई के साथ ही भारतीय हॉकी से 16 नंबर की जर्सी भी रिटायर कर दी गई ।
यह पूछने पर कि रिटायर होने के बाद सबसे ज्यादा क्या ‘मिस’ करेंगे, श्रीजेश ने अपने सम्मान समारोह के बाद भाषा से कहा ,‘‘जैसे सचिन ने कहा था कि मैदान में ‘सचिन सचिन ’ का शोर वह कभी भुला नहीं पायेंगे तो ओलंपिक में आखिरी चार मैचों से मुझे भी यह सुनाई दे रहा था ‘श्रीजेश श्रीजेश ’ । हमने बचपन में बस सचिन सचिन ही सुना है और उस पल मुझे एकबारगी लगा कि मैंने भी देश के लिये कुछ किया है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं मैदान में उतरते समय पैड पहनना मिस करूंगा । लोग पहले दाहिना पैर रखते हैं लेकिन मैं बायां पैर पहले रखता था ।’’
भारत के लिये 336 मैच खेल चुके इस दिग्गज ने कहा ,‘‘ हॉकी में वॉर्मअप , रूम, मीटिंग, खिलाड़ियों को मैदान पर गालियां देना , साथ में खाना सब कुछ मिस करूंगा । मेरा जीवन अब तक टीम के साथ ही रहा है , इनके बिना मुझे कुछ पता नहीं है । अब इनके बिना जिंदगी के बारे में सोचना पड़ेगा ।’’
जूनियर टीम के कोच बनने जा रहे श्रीजेश ने कहा ,‘‘अभी सोचा ही नहीं है कि रिटायर्ड लाइफ कैसी होगी । घर जाकर पहले दिन सोकर उठूंगा तो क्या करूंगा , अभी दिमाग को सिखाना होगा कि पिछले चौबीस साल का रूटीन बदल गया है । वैसे ऐसा होगा नहीं , फिटनेस का रूटीन खराब नहीं करूंगा ।’’
उन्होंने कहा,‘‘ पिछले 24 साल से एक ही रूटीन रहा है । ट्रेनिंग, जिम, टीम मीटिंग्स वगैरह जिसके अलावा जीवन में कुछ किया ही नहीं है ।अभी ओणम आ रहा है । अब तक ओणम पर पायसाम ( खीर) खाने के समय दो चम्मच पर रूक जाना पड़ता था कि फैट हो जायेगा । अब यह सब बदल जायेगा ।’’
उन्होंने कहा कि अपने कैरियर पर उन्हें गर्व है क्योंकि उनके बच्चों को उन पर गर्व है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ बेटे को समझ में आ गया है कि अब पापा ज्यादा समय हमारे साथ रहेंगे । वो बोलता है कि पापा अभी और खेलो क्योंकि स्कूल में सभी को पता है कि उनके पापा देश के लिये खेलते हैं । उसने मेरे पदक असैंबली में दिखाये थे । मेरे लिये यह गर्व का पल है क्योंकि मेरे बच्चों को मुझ पर गर्व है ।’’
अपनी पत्नी अनीश्या को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा ,‘‘ शादी के समय मैने उससे कहा था कि तुम डॉक्टर हो और आजीवन रहोगी लेकिन मैं खिलाड़ी हूं और मेरा कैरियर बहुत कम है इसलिये मैं जब तक खेल रहा हूं, मुझे खेलने दो । तुम घर संभालो । उसने कभी ना नहीं बोला । उसने मेरे मम्मी पापा, बच्चों और घर को संभाला और वह नहीं होती तो मैं यहां तक नहीं पहुंचता ।’’
भाषा
मोना सुधीर
सुधीर
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