दिग्गज खिलाड़ियों को समझना कोचिंग ‘मॉड्यूल’ का हिस्सा है: एनसीए शिक्षा प्रमुख सोमासुंदर |

दिग्गज खिलाड़ियों को समझना कोचिंग ‘मॉड्यूल’ का हिस्सा है: एनसीए शिक्षा प्रमुख सोमासुंदर

दिग्गज खिलाड़ियों को समझना कोचिंग ‘मॉड्यूल’ का हिस्सा है: एनसीए शिक्षा प्रमुख सोमासुंदर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : June 28, 2022/9:18 pm IST

… कुशान सरकार…

    नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) क्रिकेट कोचिंग की ‘कला और विज्ञान’ में पिछले एक दशक में बड़ा बदलाव आया है और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के शिक्षा प्रमुख सुजीत सोमासुंदर ने कहा कि यहां के पाठ्यक्रम में आधुनिक खेल के कई पहलुओं को शामिल किया है, जिसमें दिग्गज खिलाड़ियों की मानसिकता को समझना भी शामिल है। भारत का यह पूर्व सलामी बल्लेबाज 90 के दशक में मजबूत कर्नाटक की टीम का हिस्सा था जिसमें राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद जैसे खेल के महारथी शामिल थे। 49 साल के एनसीए शिक्षा प्रमुख ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में गुणवत्ता वाले कोच को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 1996 के टाइटन कप में भारत के लिए दो एकदिवसीय मैच खेलने वाले सोमासुंदर एनसीए में कोचिंग पाठ्यक्रम को फिर से तैयार करने की जिम्मेदारी उठा रहे है। वह एक ‘माइंड कोच’ भी रहे है। रणजी ट्रॉफी फाइनल के इतर उनसे जब पूछा गया कि क्या बड़े खिलाड़ियों से बातचीत करना तकनीकी या मानसिक दृष्टिकोण को बदलने में मदद कर सकता है, जो कि कोच के शिक्षा कार्यक्रम का एक हिस्सा है। सोमासुंदर ने पीटीआई-भाषा को दिये विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘ बिल्कुल हाँ। हम व्यक्तियों की विभिन्न प्राथमिकताओं और व्यक्तित्व लक्षणों को समझने, स्वीकार करने और उनकी सराहना करने की  क्षमता पर काम करते हैं। खिलाड़ियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए उनके व्यवहार और संचार के तरीके में लचीलापन लाते हैं। ’’ सोमासुंदर को 2019 में एनसीए का शिक्षा प्रमुख नियुक्त किया गया था क्योंकि बीसीसीआई अपने ‘कोच’ शिक्षा कार्यक्रम को फिर से नये तरीके से शुरू करना चाहता था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 2019 के अंत में इसे फिर से शुरू करने के निर्देश के साथ इस भूमिका को संभाला। मुझे एक बहुत ही सफल बहुराष्ट्रीय कंपनी के ‘लर्निंग एंड डेवलपमेंट’ समारोह में काम करने का अनुभव था, जिसने मुझे कोच शिक्षा के लिए एक नये परिप्रेक्ष्य के साथ पूरे कार्यक्रम को फिर से तैयार करने में मदद की।’’ सोमासुंदर फिलहाल एक रोचक विषय पर शोध कर रहे है। यह विषय है ‘भारत में कोचिंग क्रिकेट के लिए एक मॉडल का विकास और सत्यापन’। उन्होंने कहा, ‘‘कोचिंग ‘कला और विज्ञान’ दोनों है, जिसका अर्थ है कि एक कोच को अपने ज्ञान, कौशल और व्यवहार में निपुण होना चाहिये।  एक कोच के रूप में प्रभावी होने के लिए यह बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ कोच को खेल के तकनीकी, रणनीतिक, मानसिक पहलुओं के साथ-साथ हर तरह की समझ और कौशल के बारे में पूरा ज्ञान होना चाहिए। उसे कई तरह के लोगों से निपटना होता है । उसे इस चीज की समझ होना चाहिये कि नेतृत्व व्यवहार कैसे विकसित किया जाये। बीसीसीआई से जुड़ने से पहले, सोमासुंदर एक पेशेवर ‘माइंड कोच’ के रूप में भी काम कर चुके हैं और उन्होंने इस बारे में अध्ययन किया है  कि  मनोबल गिरने के बाद खिलाड़ी की मानसिकता कैसी होती है। उन्होंने कहा, ‘‘ ‘माइंड कोच’ का काम खिलाड़ी की मदद करना है, सबसे पहले उसे उस नजरिये को समझना होगा कि उसके आस पास की परिस्थितियां कैसी है। ’’ भाषा आनन्द मोनामोनाआनन्द

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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