… पूनम मेहरा…
नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) अपने चार दशक से अधिक लंबे करियर में भारतीय खेलों के कई उतार-चढ़ाव को कवर करने वाले अनुभवी खेल पत्रकार हरपाल सिंह बेदी का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को यहां निधन हो गया।
वह 72 वर्ष के थे और उनके परिवार में उनकी पत्नी रेवती और बेटी पल्लवी हैं।
लंदन ओलंपिक (2012) में भारतीय प्रेस अताशे के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले बेदी को भारतीय खेलों के अपार ज्ञान के साथ अपनी वाकपटुता, गर्मजोशी और व्यंग से मीडिया बॉक्स को मंत्रमुग्ध करने के लिए जाना जाता था।
वह यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) के पूर्व खेल संपादक भारतीय खेल पत्रकारिता की सबसे बड़ी शख्सियतों में से एक थे और पिछले कुछ वर्षों से स्टेट्समैन अखबार के सलाहकार संपादक के रूप में काम कर रहे थे।
उन्होंने अपने करियर में आठ ओलंपिक खेलों के अलावा कई एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेलों के कई सत्र को ऑन ग्राउंड कवर किया। उन्होंने इसके साथ ही क्रिकेट और हॉकी के विश्व कप और एथलेटिक्स और अन्य प्रमुख ओलंपिक खेलों की विश्व और राष्ट्रीय चैंपियनशिप को भी कवर किया था।
प्रेस बॉक्स में युवा पत्रकारों के लिए मार्गदर्शक बनने की उनकी क्षमता को भुलाया नहीं जा सकता। वह अपने चिर-परिचित हास्य से घबराए हुए युवा पत्रकारों को सहज बना सकते थे।
अनुभवी पत्रकार और खेल प्रशासक जी राजारमन ने अपने पूर्व सहयोगी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘हरपाल सिंह बेदी एक उत्कृष्ट पत्रकार थे, उनसे सब प्यार करते थे और उनका सम्मान करते थे…।’’
आगामी पेरिस ओलंपिक में भारत के प्रेस अताशे राजारमन ने पीटीआई से कहा, ‘‘वह भारतीय खेलों और खेल से जुड़े प्रशासन पर अच्छी समझ रखते थे।’’
वह भारत के पूर्व कप्तान और महान स्पिनर दिवंगत बिशन सिंह बेदी के करीबी दोस्त थे। उन्हें कई मौकों पर लोगों ने बिशन सिंह बेदी ही समझ लिया था।
भारत के पूर्व कप्तान का निधन 2023 में हुआ था। उन्होंने एक बार कहा था, ‘‘हम करीबी दोस्त हैं, आप जानते हैं, मैं ‘बीएसबी’ हूं, वह ‘एचएसबी’ है। हम बहुत पहले से एक-दूसरे को जानते हैं।’’
प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘ स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से स्नातकोत्तर और एम. फिल करने वाले बेदी को उनके सहयोगियों द्वारा खेल पत्रकारिता में पिता तुल्य माना जाता था।
वह उस समय से देश के खेल परिदृश्य में बदलाव और विकास के गवाह थे, जब पीटी उषा ने 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर दुनिया भर में प्रसिद्धि हासिल की थी । वह 2008 के बीजिंग खेलों में अभिनव बिंद्रा द्वारा जीते ऐतिहासिक स्वर्ण पदक के गवाह भी बने थे।
बेदी की प्रसिद्धि भारत के साथ पाकिस्तान में थी थी। जब उन्होंने 2004 और 2005 में भारतीय क्रिकेट टीम के साथ देश का दौरा किया तो वह पाकिस्तानी पत्रकारों के बीच एक लोकप्रिय व्यक्ति बन गए। वह वास्तव में अपने हंसमुख व्यक्तित्व के लिए स्थानीय पत्रकारों के लिए एक कहानी बन गए।
राजारमन ने याद करते हुए कहा, ‘‘भारत-पाक संबंधों के बारे में उनकी समझ सर्वश्रेष्ठ विदेशी मामलों के विशेषज्ञों के बराबर थी।’’
इन दौरों के दौरान बेदी से दोस्ती करने वालों में वरिष्ठ पाकिस्तानी खेल पत्रकार रशीद शकूर भी शामिल थे।
शकूर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उनके पास खबरों के साथ साथ लतीफों का भी खजाना होता था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ वह बहुत ही खुशमिजाज व्यक्तित्व थे। उसका दोस्त बनना बहुत आसान था। मैंने एक बार एक लेख लिखा था कि कैसे उन्हें गलती से बिशन सिंह बेदी समझ लिया गया था और एक टीवी चैनल ने उनका साक्षात्कार लिया था।’’
शकूर ने कहा, ‘‘मैंने उनसे इस पर टिप्पणी देने के लिए कहा और मुझे याद है कि इस पर वह बहुत हंसे और मेरा मजाक उड़ाया। वह दूसरों को पूरा सम्मान देते थे और बहुत प्यारे इंसान थे।’’
हमेशा खुशमिजाज रहने वाले बेदी हालांकि भारतीय हॉकी टीम के खराब प्रदर्शन के बाद निराश हो जाते थे।
इस खेल से दिल से जुड़े बेदी को गुस्से में अपनी रिपोर्ट टाइप करते समय निराशा में बुदबुदाते हुए देखा जा सकता था।
‘द हिंदू’ के पूर्व वरिष्ठ संपादक विजय लोकपल्ली ने कहा, ‘मैं एकमात्र पत्रकार को जानता हूं जो खुद पर हंस सकता है। उसके बिना प्रेस बॉक्स पहले जैसा नहीं होगा।’
बेदी का स्वास्थ्य पिछले एक साल में खराब हो गया था और वह ज्यादातर अपने तक ही सीमित रहते थे।
ओलंपिक कांस्य विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने बेदी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट किया, ‘‘खेल पत्रकारों में सबसे हंसमुख हरपाल सिंह बेदी जी अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।’’
भाषा आनन्द पंत
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