मसौदा 2017 खेल संहिता के कार्यकाल दिशानिर्देशों का विरोध जारी रखेंगे: आईओए

मसौदा 2017 खेल संहिता के कार्यकाल दिशानिर्देशों का विरोध जारी रखेंगे: आईओए

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  • Publish Date - August 18, 2022 / 08:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

(सोमोज्योति एस चौधरी)

नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने उच्चतम न्यायालय से मिली अंतरिम राहत का ‘स्वागत’ करते हुए गुरुवार को कहा कि वे राष्ट्रीय खेल संहिता के ‘विवादास्पद’ नियमों का विरोध जारी रखेंगे जिसमें ‘अधिकारियों के कार्यकाल’ और राज्य इकाइयों के ‘मतदान अधिकार’ से जुड़े नियम अहम हैं।

यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) आईओए का संचालन नहीं करेगी।

केंद्र सरकार और आईओए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस बात पर उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) सीओए जैसी गैर चयनित इकाई को मान्यता नहीं देती और नतीजतम भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने आईओए की याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 22 अगस्त तय की।

आईओए के महासचिव राजीव मेहता ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह माननीय उच्चतम न्यायालय का स्वागत योग्य आदेश है। आईओए और सरकार संयुक्त रूप से उच्चतम न्यायालय की शरण में गए थे। हमें सरकार का पूर्ण समर्थन हासिल है। हमें दुखी है कि सरकार ने हमारी बातों पर विचार किया।’’

मसौदा राष्ट्रीय खेल संहिता 2017 के अनुसार आयु और कार्यकाल संबंधी पाबंदियां राष्ट्रीय खेल संस्थाओं के सिर्फ अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पर ही नहीं बल्कि सभी अधिकारियों पर लागू होंगी।

एक अधिकारी अधिकतम तीन कार्यकाल या 12 साल तक पद पर रह सकता है जिसमें ब्रेक का समय भी शामिल है। इसके अलावा आयु सीमा 70 वर्ष सीमित की गई है।

हालांकि आईओए के संविधान के अनुसार कोई अधिकारी बिना ब्रेक के समय के 20 साल तक पद पर रह सकता है।

आईओए ने कहा कि वह इन ‘विवादास्पद’ दिशानिर्देशों का विरोध जारी रखेगा।

मेहता ने कहा, ‘‘हमारी मुख्य आपत्ति कार्यकाल दिशानिर्देशों को लेकर है। खेल संहिता के तहत पहले ही खेल प्रशासक का कार्यकाल 20 साल से घटकर 12 साल रह गया है। चार साल के दो कार्यकाल के बाद अधिकारी को ब्रेक पर जाना होगा, हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खेल संहिता के तहत राज्य संघों और गैर ओलंपिक खेल महासंघों के मतदान अधिकार भी चले गए हैं जो उचित नहीं है। हम चाहते हैं कि माननीय उच्चतम न्यायालय संहिता के त्रुटिपूर्ण दिशानिर्देशों में सुधार करे। हम सिर्फ अपील कर सकते हैं, बाकी न्यायालय पर निर्भर करता है। हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं कि 22 अगस्त को अनुकूल आदेश आएगा। ’’

भाषा सुधीर मोना

मोना