उपचुनाव की गहमागहमी से मध्यप्रदेश की राजधानी बना चित्रकूट

उपचुनाव की गहमागहमी से मध्यप्रदेश की राजधानी बना चित्रकूट

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  • Publish Date - November 6, 2017 / 11:34 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

सतना। चित्रकूट चुनाव के मद्देनजर सीएम शिवराज सहित एक दर्जन मंत्री चित्रकूट में डेरा जमाये हुए है जिसके चलते राजधानी भोपाल में होने वाले प्रशासनिक कार्य भी चित्रकूट से निपटाए जा रहे है। चुनाव में ज्यादातार मंत्रियो के चित्रकूट में होने कारण सरकारी कामकाज को लेकर संबन्धित विभाग के अधिकारी फाइल निपटाने के भोपाल से चित्रकूट के लिए दौड़ भाग कर रहे है। चित्रकूट चुनाव की वजह से राजधानी भोपाल में सन्नाटा पसरा हुआ है वहीं ऐसा लग रहा है की चित्रकूट इन दिनों मध्य प्रदेश की राजधानी बनी हुई है। 

चित्रकूट उपचुनाव में शिवराज का रोड शो

मध्य प्रदेश में चित्रकूट विधानसभा सीट के हो रहे उपचुनाव के लिए काउंटडाऊन शुरू हो गया है। कांग्रेस के कब्जे वाली सीट को हथियाने के लिए आतुर सत्ताधारी भाजपा की उपचुनाव प्रचार को लेकर नींद उड़ गयी है। वजह है कांगेस की मैदानी जमावट और साइलेंट प्रचार की शैली, आलम ये है कि प्रदेश मुखिया शिवराज सिंह सहित आधी सरकार ने चित्रकूट में डेरा डाल दिया है। संगठन के दिग्गज नेता पहले से ही डटे हुए हैं. उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे, सूक्ष्म मध्यम एवं लघु उद्यम मंत्री संजय पाठक, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री ललित यादव, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह, ऊर्जा मंत्री पारस जैन, जीएडी मंत्री लालसिंह आर्य चित्रकूट में डटे हुए हैं। ऐसा लग रहा है चित्रकूट इन दिनों प्रदेश की राजधानी हो। बीजेपी जहां इसे चुनावी जमावट बता रही है वहीं सरकार के मंत्री पार्टी का आदेश। 

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यूपी की सीमा से लगे चित्रकूट विधानसभा सीट पर भाजपा अब तक सिर्फ एक बार ही चुनाव जीत सकी है। चित्रकूट में पिछले 27 साल में हुए 6 विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर गौर करें तो. यहां सर्वाधिक 3 बार कांग्रेस ने विजय हासिल की एक-एक बार भाजपा, जनता दल और बसपा प्रत्याशी ने जीत का स्वाद चखा है। यही वजह है कांग्रेस अपने गढ़ में सरकारी जमावट से बौखलाहट में है। सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है।

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वैसे-वैसे सियासी दल दांव-पेंच चलने में भी पीछे नहीं है. मंगल सिंह के दल-बदल की रणनीति में मुंह की खाने और कांग्रेस में दूसरे दलों के कुछ कार्यकर्ताओं के शामिल होने से भाजपा संगठन के होश उड़ गए हैं। अब आलम ये है कि हर हाल में राम की नगरी को जीतने के लिए प्रदेश सरकार के एक दर्जन मंत्रियों ने दस्तक दे दी है। जिसके चलते भोपाल के कामकाज चित्रकूट से निपटाए जा रहे है।